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सन्देश : रायलसीमाके कार्यकर्त्ताओंको

और इस प्रकार स्वराज्यकी जल्दीसे-जल्दी स्थापना की जाये। अगर मैं गिरफ्तार कर लिया जाऊँ तो मैं भारतके प्रत्येक ऐसे पुरुष और स्त्रीसे, जो स्वदेशीके सिद्धान्तमें विश्वास रखता है लेकिन जिसने आलस्यवश या किसी कमजोरीके कारण अभीतक विदेशी वस्त्रोंका त्याग नहीं किया है और हाथसे कताई और बुनाई करना शुरू नहीं किया है, यह आशा करूंगा कि वह सभी विदेशी वस्त्रोंका त्याग कर दे और चरखे तथा हाथ करघेको अपनाये। मैं प्रत्येक हिन्दूसे उम्मीद करूंगा कि वह खिलाफतके लिए अपने प्रयत्नोंमें किसी भी हालत में ढील नहीं डालेगा या तथाकथित स्वराज्यकी खातिर खिलाफतका पक्ष नहीं छोड़ देगा, क्योंकि मेरी रायमें, मुसलमानोंकी सन्तुष्टि हुए बिना स्वराज्यकी कल्पना ही नहीं की जा सकती।

आपका,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ५-१०-१९२१

१०८. सन्देश : रायलसीमाके[१] कार्यकर्त्ताओंको

५ अक्तूबर, १९२१

श्री हरिसर्वोत्तम रावने ५ अक्तूबरको बम्बईसे तार दिया है :

महात्मा गांधीने मुझे मद्रास संविलित जिलोंके कार्यकर्त्ताओंको निम्न तार भेजने की अनुमति दी है :

स्वदेशी और बहिष्कारपर ध्यान केन्द्रित करें, सभाओंमें पूर्ण शान्ति रखें, सब प्रकारके प्रदर्शनोंसे बचें, सुविचारित शान्तिपूर्ण कार्रवाईके लिए आवश्यक अनुशासनके सबसे पहले नियम यही हैं। स्वयंसेवकोंको लाठियां नीचे रखना और कर्त्तव्यका पालन करना सिखायें। मैं सबसे अनुरोध करता हूँ कि वे इसी १४ तारीखको ताडपत्री में मिलें।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, ६-१०-१९२१
  1. हैदराबादकी रियासत द्वारा ब्रिटिश सरकारको सौंपे गये "उत्तरी सरकार" कहलानेवाले चार जिले जिनको ब्रिटिश सरकारने मद्रास प्रेसीडेंसीमें मिला लिया था।