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१०९. टिप्पणियाँ

अकालकी दवा

मद्रासमें रायलसीमाके सफरमें मुझे ऐसे कई सबूत मिले जिनसे यह बात साबित होती है कि चरखा चलाना अकालको न आने देनेका तथा उससे लोगोंकी रक्षा करनेका सबसे अच्छा जरिया है। इन जिलोंके कुछ हिस्से में इन दिनों जोरोंका अकाल है। एक कार्यकर्त्ताने मुझे बताया कि एक स्त्रीने तो अपना और अपने बाल-बच्चोंका गुजर न कर सकने के कारण, अपने लड़कों-बच्चोंको डुबो दिया और खुद भी डूबकर मर गई। और यह मुमकिन नहीं कि सैकड़ों और हजारों लोगोंकी गुजर केवल दान और चन्देपर चलाई जाये। फिर, जो लोग दानकी रोटीपर पेट पालते हैं वे अपने आत्मसम्मान से हाथ धो बैठते हैं। यह बात नहीं है कि जहाँ-जहाँ अकाल है, वहाँ अनाज मिलता ही न हो। पर बात यह है कि लोगोंके पास न तो काम है और न पैसा। हाँ, सरकारकी तरफसे अकाल पीड़ितोंकी सहायता के लिए पत्थर तोड़ने और ढोनेका काम दिया गया है। एक मित्रने बताया है कि सरकारने सड़कें तुड़वाने और उन्हें फिर बनवानेका कार्य शुरू किया तब जाकर कहीं उन अकाल पीड़ित पुरुषों और स्त्रियोंके लिए काम निकला। सड़कें तोड़ी जायें या न तोड़ी जायें पर यह तो निश्चित है कि सरकार के पास लोगोंको अकालसे राहत पानेकी दृष्टिसे देनेको एक ही काम है और वह है -- सड़कोंकी मरम्मत। मुझे यह भी मालूम हुआ कि दरअसल मजदूरी जो एक औरतके पल्ले पड़ती है, चार-पाँच पैसे हैं और मर्दको दस पैसेसे ज्यादा नहीं मिलते। इसके विपरीत मैंने देखा कि पंचम औरतोंको कांग्रेस कमेटी तीन आना रोज मजदूरी देती है, जिसपर वे आठ घंटा रोज चरखेपर सूत कातती हैं और पंचम औरतोंके लिए जो किया जा रहा है वही अन्य हजारों अकाल पीड़ित औरतों और मर्दोंके लिए भी किया जा सकता है। इन जिलोंमें मर्दको भी तीन आना रोज मजदूरी मिलना मानो एक बड़ी भारी नियामत है। परन्तु चरखेमें इतनी सम्भावनाएँ मौजूद हैं जितनी और किसी धन्धे में नहीं हैं क्योंकि चरखा चलानेमें उसके पहलेकी दो क्रियाएँ, ओटना और धुनना तथा बादकी क्रिया बुनना भी शामिल है। रायलसीमाके इन जिलोंमें बुनाई सिखाने में भी अधिक कठिनाई नहीं पेश आ सकती। और अगर कपड़ा तैयार करनेकी तमाम प्रक्रियाएँ इसी तरह संगठित की जा सकें तो हजारों लोगोंको घर बैठे मुस्तकिल तौरपर कामधन्धा मिल सकता है। हरएक कार्यकर्त्ताने खुले दिलसे यह बात की है कि हाँ, हम लोग तथा अकाल पीड़ित लोग, दोनों इस बातको समझने लगे हैं कि चरखेसे कितने लाभ हैं, और लोगोंके दिलोंमें आशाका संचार होने लगा है तथा कार्यकर्त्ताओंने हर जगह चरखा चलाने और कपड़ा बुनने के कामका संगठन शुरू कर दिया है। मुझे ऐसे लोग भी मिले जिन्होंने कहा कि हम तो आपकी इस बातपर हँसते थे कि चरखा अकाल न पड़ने देनेका सर्वोत्तम साधन है, पर व्यवहारमें उसके अनुभवके बाद अब हम उसकी सचाई समझ गये हैं।