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पत्र: ए० जी० कानिटकरको


सकें। इसलिए फीसकी शर्त रखी गई और स्वागत-समितिको यह अधिकार दिया गया कि कुछ प्रथम पंक्तिके लोगोंको वह निमन्त्रित कर सके । इस प्रकार स्वागत-समितिने भरसक हर तरहकी सुविधा रखनेका विचार किया है। जनताको उचित है कि वह इस मर्यादाको स्वीकार करे ।

परन्तु जो बातें देखने-सुननेकी हैं, उन्हें सब कोई देख-सुन सकते हैं। हर रोज चार आना देनेवाला आदमी महासभाकी हृदमें तमाम दिन रह सकेगा और दिनमें वहाँ होनेवाले जल्सोंमें, संगीत, व्याख्यान इत्यादिमें शरीक हो सकेगा । सिर्फ जितनी देरतक महासभाका काम चलता होगा उतने ही समयतक वह महासभाके मण्डपमें न जा सकेगा। महासभाके प्रत्येक वक्ताका भाषण भी वह सुन सकेगा । अतएव चार आने देकर सब अपनी जिज्ञासा तृप्त कर सकेंगे। इस बार कमसे-कम एक लाख आदमी महासभाके निमित्त एकत्र होंगे, मुझे ऐसी आशा है और यह आशा भी है कि उन्हें अपने सन्तोष और ज्ञान-वृद्धिके लिए यहाँ उचित प्रबन्ध दिखाई देगा।

पारसी स्वयंसेवक

श्री शापुरजी बहरामजी गोटला नवसारीसे लिखते हैं :

मैं आशा करता हूँ कि इस सुझावको कार्यान्वित किया जायेगा और यदि लगे कि पारसियोंका अलग स्वयंसेवक दल बनाना सम्भव नहीं है तो जो दल बन चुके है़ंं वे उनमें तो अवश्य ही शामिल होंगे ।

[ गुजरातीसे ]

नवजीवन, १६-१०-१९२१

१२९. पत्र : ए० जी० कानिटकरको

साबरमती

१७ अक्तूबर, [ १९२१ ]

प्रिय मित्र,

आपका पत्र पाकर प्रसन्नता हुई।

वर्तमान बालचर (स्काउट) संगठनमें मेरा विश्वास नहीं है और न मैं सम्भवतः किसीको युवराजके किसी तरहके स्वागतमें सम्मिलित होनेकी सलाह दे सकता हूँ; क्योंकि उनको यहाँ एक घृणित अन्यायका समर्थन करनेके लिए लाया जा रहा है। मैं आपकी इस बातसे बिलकुल सहमत हूँ कि हमारा पतन सादे जीवन और प्रेमके आदर्शोंको त्याग देने के कारण हुआ है। जबतक हम फिरसे स्वदेशी वस्त्रोंका व्यवहार

१. पत्र यहाँ नहीं दिया जा रहा है। पत्रमें आगामी कांग्रेस अधिवेशनके लिए पारसियोंसे पारसी स्वयंसेवक दलका निर्माण करनेकी अपील की गई थी और स्वयं पत्र लेखकने इसमें अपनी सेवाएँ सौंपनेकी बात भी कही थी। बैंक NG भी प्यार 6059 Gandhi Heritage Portal