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भाषण: अहमदाबादमें स्वदेशीपर

काम करनेका उत्साह चला जाता है और इससे उनके आत्मविश्वासके नष्ट होनेका खतरा भी रहता है। देशसे भिक्षा-वृत्तिको दूर करनेका केवल एक उपाय यह है कि हम भिखारियोंको चरखा चलाने और मेहनत करके अपनी रोजी कमानेके लिए तैयार करें। भारतके नंगे लोगोंका खयाल करके ही मैंने यह एक छोटी धोती-मात्र पहननेका निश्चय किया है और जबतक देशके करोड़ों अधनंगे लोगोंको कपड़ा देने के उद्देश्यसे सभी कोई चरखा नहीं चलाने लगते तबतक मैं चैन नहीं लूँगा। मैं इस धोतीको लपेट कर कैसा लगता हूँ यदि आप यह देखनेकी उत्सुकतासे यहाँ आकर्षित होती हैं, यदि आप केवल दिखावेके लिए खादी पहनती हैं, तो आप मुझे धोखा देती हैं। आप अपने असली विचारोंको छिपाकर मुझे और अपनी अन्तरात्माको भी धोखा दे सकती हैं, लेकिन मनुष्यकी बुद्धि जितने भी उपाय ढूँढ़ सकती है उनमें से किसीका भी आश्रय लेकर आप ईश्वरको धोखा नहीं दे सकतीं। हमारे पास पहलेसे जो विदेशी कपड़े रखे हैं उनको तो हम पहन लें, ऐसा सोचकर आपका विदेशी वस्त्र पहनते जाना बेमतलब है। यदि हमारे घरमें शराबकी एक बोतल रखी है, तो क्या हम शराब पियेंगे? जब हमें एक बार यह विश्वास हो जाता है कि विदेशी कपड़ा अपवित्र है तब हम कोई भी ठीक जँचनेवाला बहाना देकर विदेशी कपड़ेके प्रयोगको उचित नहीं ठहरा सकते। क्या सोताने अशोक वाटिकाम वल्कल वस्त्रोंकी तुलनामें कीमती वस्त्रोंको अस्वीकार नहीं कर दिया था? उन्होंने बड़ी वीरतासे अपने सतीत्वकी रक्षा की थी, अनेक प्रलोभनोंको ठुकराया था और धमकियोंकी परवाह नहीं की थी। इसी कारण ‘सीता-राम’ कहकर हम जो अभिवादन करते हैं उसमें सीताको पहला स्थान मिला है। यदि आप भोजन बनानेकी कलामें निपुण हैं तो आप बढ़ियासे बढ़िया सूत कातन में भी निपुण हो सकती हैं। मैं आशा करता हूँ कि कांग्रेसके अगले अधिवेशनमें मैं आप सबको खादी पहने हुए देखूँगा। अबतक मैंने आपसे जो भी चीज माँगी है वह आपने मुझे खुशी-खुशी दी है और अब जब में आपसे आपके विदेशी कपड़े माँगता हूँ तब मैं आपसे यही आशा करता हूँ कि आप मेरी इस माँगका उत्तर भी उसी उदारतासे देंगी।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, ११-११-१९२१
 
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