पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/४९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१९
भाषण : डिब्रूगढ़ में

वहाँ बहिष्कारका[१] और खादी उत्पादनका काम जोरोंसे हो रहा होगा। असम एक नया ही देश लगता है। यात्राका जानने लायक भाग 'नवजीवन'[२] में दे चुका हूँ। इसलिए यहाँ नहीं लिख रहा हूँ । भाई इन्दुलालके[३] साथ मैंने बात कर ली है। कुमुदबेनके[४] साथ मैं जी भरकर बातें करना चाहता हूँ और उन्हें शान्ति देनेका प्रयत्न करना चाहता। इसका आधार उनकी इच्छा और मेरी फुरसतपर रहेगा। मैं उधर अक्तूबर माससे पहले आ सकूँगा, ऐसा नहीं लगता। तुम दोनों भाई[५]-बहन बापूकी[६] खूब मदद करते होगे। उनपर बहुत बोझा आ पड़ा है। परन्तु प्रभुकी इच्छा होगी तो वे उसे उठा लेंगे।

बापूके आशीर्वाद

[ पुनश्चः ] मेरे प्रवासका कार्यक्रम : ३१ से ३ तक चटगाँव और बारीसाल; ४ से १२ तक कलकत्ता।

बहन मणिगौरी,

द्वारा श्री वल्लभभाई झवेरभाई पटेल[७], बार-एट-लॉ

भद्र, अहमदाबाद।
[ गुजरातीसे ]
बापुना पत्रो - ४ : मणिबहेन पटेलने

१०. भाषण : डिब्रूगढ़ में

[ २५ अगस्त, १९२१][८]

भाइयो,

आज असम में हमारी आखिरी रात है। कल हम असम छोड़कर चटगाँव चले जायेंगे। असमसे जो कुछ कहना था सो हम लोगोंने अबतक कह दिया है। और, इससे पहले कि मैं अब और कुछ कहूँ, आपसे यह जानना चाहता हूँ कि चायके बागीचोंमें काम करनेवाले मजदूरोंमें से कितने लोग यहाँ आये हैं। यदि मेरी आवाज

  1. विदेशी कपड़ेका।
  2. देखिए " असमके अनुभव-११, ४-९-१९२१ तथा “ असमके अनुभव-२”, ११-९-१९२१
  3. इन्दुलाल याशिक; एक सक्रिय राजनैतिक कार्यकर्त्ता; गांधीजीने इन्हींसे नवजीवन लेकर उसे साप्ताहिक रूप दिया था ।
  4. इन्दुलाल याज्ञिककी पत्नी।
  5. डाह्याभाई पटेल।
  6. वल्लभभाई पटेल (१८७५-१९५०); गुजरातके प्रमुखनेता; भारतके प्रथम उप-प्रधान मन्त्री ।
  7. गांधीजी इस दिन डिब्रूगढ़ में थे; देखिए “ पत्र : महादेव देसाईंको, २२-८-१९२१।