पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/५००

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४६८ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय अमंगलकारी प्रतिबन्धको दूर करना । कांग्रेस कार्यकर्ताओंको इसके खिलाफ एक जब- र्दस्त आन्दोलन चलानेकी जरूरत महसूस करनी चाहिए। इससे उनके स्वदेशीके कार्य में किसी तरहका विघ्न नहीं पड़ सकता, क्योंकि स्वयं स्वदेशी के गहन कार्यका प्रभाव हमारे दलित देशवासियोंके लिए बहुत ही शक्तिशाली और हितकारी होता है। यदि चरखेका सन्देश हमारे देशके इन अत्यन्त निःसहाय भाइयोंके घरोंमें नहीं पहुँचेगा तो, भारत आत्म-निर्भर नहीं हो सकेगा । और यह सन्देश इनतक तबतक नहीं पहुँचाया जा सकेगा जबतक हम इन्हें अपने सगे भाई-बहनों की तरह नहीं समझेंगे, जिन्हें हमारे अधिकसे-अधिक सौजन्य और प्रेमकी आवश्यकता है। डेरा इस्माइलखाँ डेरा इस्माइलखाँकी जिला कांग्रेस कमेटी के मंत्रीने लिखा है कि सर्वश्री प्याराखाँ, देवीदास, निर्मलदास, किशनचन्द भाटिया, हाजी अहमद्दीन, अल्लाबख्श और मुहम्मद रमजान द्वारा कराची प्रस्तावको दोहराने के कारण उनसे जमानत दाखिल करने को कहा गया था। चूंकि उन्होंने जमानत देने से इनकार कर दिया था, इसलिए उन्हें दो-दो वर्षकी साधारण कारावास की सजा दे दी गई। मन्त्रीने आगे लिखा है कि मुकदमा एक तमाशा था जो सिर्फ दो घंटे चला । लाला प्याराखाँ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं। वे बलूचिस्तानमें पन्द्रह साल सरकारी नौकरी कर चुके हैं। जलिय वाला बागके हत्याकांड के बाद वे सरकारी नौकरी छोड़कर कांग्रेसमें शामिल हो गये थे और गिरफ्तारीके समय उसके स्थानीय मन्त्री थे। उन्होंने पत्रमें लिखा है कि ये सजायें कराचीके मुकदमों के फैसलेसे पहले सुनाई गई हैं। किन्तु इससे भी आश्चर्य की बात तो यह है किं जिन्होंने यह प्रस्ताव बम्बईमें दुहराया और रहनुमाई की उन्हें तो छुआ भी नहीं गया; परन्तु जिन्होंने बम्बई घोषणा-पत्रके हस्ताक्षरकर्ताओंका अनुसरण किया उन्हें जेलमें बन्द कर दिया गया। मैं डेरा इस्माइलखाँके इन अधिक सौभाग्यशाली लोगोंको बधाई देता हूँ। कुरान छीन ली गई मीरपुर खासकी जिला खिलाफत कमेटीके मन्त्री लिखते हैं कि मौलवी अब्दुल करीम साहबसे, जिन्हें हाल ही में सजा हुई है और जो इस समय हैदराबाद जेलमें कैद भुगत रहे हैं, 'कुरान' छीन ली गई है। मौलवी उतने प्रसिद्ध नहीं हैं, क्या इसीलिए उनसे 'कुरान' छीन ली गई है ? क्योंकि कराचीके प्रसिद्ध बन्दियोंके साथ तो ऐसा व्यवहार किया नहीं गया है। इसी तरहके अविचारपूर्ण और अनावश्यक अत्या चारसे दुर्भावना पैदा होती है, जिसे रोकना कठिन हो जाता है। कायदेकी लड़ाई किसीको बुरी नहीं लगती, परन्तु कैदीसे उसकी धार्मिक पुस्तक ले लेना नीचताकी पूर्वग्रह और धृष्ठता तंजौर जिलेसे एक मनुष्यने लिखा है, "मैं और मेरे भाई यद्यपि ब्राह्मण हैं, परन्तु हमने आलसी जीवन बितानेकी अपेक्षा कुछ काम करना ठीक समझा और 'हल चलाना शुरू कर दिया। इस तरह हम खेती करने लगे। यह बात हमारे गाँवके लोगोंको बहुत बुरी लगी और उन्होंने हमें बिरादरीसे निकाल दिया। परन्तु हम अपने निश्चयपर दृढ़ Gandhi Heritage Portal