पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/५८८

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय धाराला, गरासिया आदि भाइयोंसे आप क्षत्रिय होने का दावा करते हैं। इस धर्म-यज्ञ में हमें सब कौमोंका, सब वर्णोंका सहयोग चाहिए। जबतक सब लोग एक-दूसरेको भाई न मानेंगे और एक-दूसरेकी रक्षा करना नहीं सीखेंगे तबतक स्वराज्य मिलना कठिन है। क्षत्रियका धन्धा तो विशेष रूपसे रक्षा करनेका ही है। इसके विपरीत घाराला भाइयोंमें से अधिकांशने उल्टा रास्ता अपनाया है। उनपर तो सरकार अनेक बार अपराधी जातियोंसे सम्बन्धित कानून भी लागू करती है। मेरी अब आप सबसे प्रार्थना है कि आप अपने साहस और सहनशीलताका उपयोग देशके हितार्थ करें। मारनेकी हिम्मत रखनेकी अपेक्षा मरनेकी हिम्मत रखना अधिक अच्छा है और इसीकी सारा जगत प्रशंसा करता है। मैं आपसे देशकी खातिर मारे बिना मरनेकी हिम्मत रखनेकी अपेक्षा रखता हूँ । मैं आपसे यह मांगता हूँ कि आप पिछले वैरको भुलाकर अपने शान्त व्यवहारसे पास-पड़ौसके लोगोंको निर्भय बनायें । आप अपने घरोंमें पींजना, कातना और बुनना शुरू करें तो संकटके वर्षोंमें भी आपको अनाज और वस्त्रकी कमी महसूस न होगी। ये तीनों क्रियाएँ सहल और गृहस्थ लोगोंको शोभान्वित करनेवाली हैं। उनसे परिवार अपना भरण-पोषण कर सकते हैं। आप इन्हें ग्रहण करें, ऐसी मेरी कामना है। [ [ गुजरातीसे ] नवजीवन, ४-१२-१९२१ आपका शुभचिन्तक, मोहनदास करमचन्द गांधी २२६. पत्र: मथुरादास त्रिकमजीको' मंगलवार, ६ दिसम्बर, १९२१ वहाँकी बातोंको सुनने के बाद मुझे लगता है कि तुम्हें अब शूरवीर बननेकी जरूरत है। अर्थात् जहाँ जरूरत जान पड़े वहाँ शान्तिपूर्वक लेकिन दृढ़तासे बात करो और विरोध करो। विरोध करते समय व्यवहारमें सख्ती नहीं आनी चाहिए और क्रोध तो कतई नहीं आना चाहिए। अगर तुम ऐसा करोगे तो सब तुम्हारी बात ध्यानसे सुनने लगेंगे। दूसरी ओर अपने मतदाताओंको ठीक जानकारी दो और अपने निर्वाचन- क्षेत्रको ताकतवर बनाओ। इस तरह सत्य प्रकट होगा तो यह क्षणिक तूफान शान्त हो जायेगा। जो लोग यह चाहते हैं कि सब-कुछ शुद्ध तरीकेसे हो वे आपसमें मिल- कर विचार कर लें कि उनका क्या कर्त्तव्य है। जो भूल करते दीख पड़ते हों उनके १. गांधीजीने यह पत्र बम्बईकी कार्रवाइयोंसे सम्बन्धित प्रेषी द्वारा भेजे गये अनेक पत्रोंके उत्तर में लिखा था । Gandhi Heritage Portal