पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/१३०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

४७. भाषण:अहमदाबादके कांग्रेस अधिवेशनमें—१

२८ दिसम्बर, १९२१

महात्मा गांधी सदाकी तरह लँगोटी धारण किये हुए जैसे ही सभा-मंचसे उतरकर वक्ता आसनकी ओर बढ़े वैसे ही लोगोंने श्रद्धा और उत्साहसे जोरोंकी करतलध्वनि की। उन्होंने आसन ग्रहण करनेके बाद हिन्दीमें बोलना शुरू किया:
सभापतिजी, भाइयो और बहनो,

हकीमजी साहबने[१] मुझे तीस मिनटका समय दिया है। उम्मीद है कि मैं इतने समयमें अपना भाषण पूरा कर लूंगा। लेकिन सभापति महोदय इस प्रस्तावको हिन्दी और अंग्रेजीमें पढ़कर सुनाने का समय इसमें जोड़ना भूल गये हैं ।(हँसी)

आप लोगोंमें से जो भी अंग्रेजी नहीं जानते वे मुझे थोड़े समय के लिए क्षमा करें। मैं बादमें इसका सारांश आपको हिन्दीमें बतला दूंगा।

इसके बाद गांधीजीने अंग्रेजीमें प्रस्ताव पढ़ना शुरू किया और साथ-साथ वे प्रत्येक पैरेका अर्थ हिन्दीमें बतलाते जाते थे।

चूंकि कांग्रेसके पिछले अधिवेशनके समयसे भारतवर्षके लोगोंने प्रत्यक्ष अनुभवसे यह जान लिया है कि अहिंसक असहयोगको अपनानेकी बदौलत देशने निर्भयता, आत्मत्याग और आत्मसम्मानके मामलेमें बहुत प्रगति की है, और चूंकि इस आन्दोलनसे सरकारको प्रतिष्ठाको बहुत धक्का पहुँचा है और चूँकि कुल मिलाकर देश स्वराज्यकी ओर तेजीके साथ आगे बढ़ रहा है; यह कांग्रेस कलकत्तेके विशेष अधिवेशन में स्वीकृत और नागपुरमें पुनः स्वीकृत प्रस्तावकी परिपुष्टि करती है और अपना यह दृढ़ निश्चय प्रकट करती है कि जबतक पंजाब और खिलाफतके अन्यायोंका निवारण न हो और स्वराज्यकी स्थापना न हो तथा भारतीय सरकारका नियन्त्रण गैर-जिम्मेदार हाथोंसे निकलकर भारतके लोगों के हाथों में न आ जाये, तबतक अहिंसक असहयोगका कार्यक्रम, प्रत्येक प्रान्त अपनी-अपनी तजवीजके अनुसार, और भी अधिक जोरके साथ जारी रखेगा।

और चूँकि वाइसरायने अपने हालके भाषणोंमें जो धमकियाँ दी हैं उनके फलस्वरूप भारत सरकारने भिन्न-भिन्न प्रान्तों में स्वयंसेवक दलोंको छिन्न-भिन्न करके तथा सार्वजनिक सभाओं और यहाँतक कि कमेटीकी बैठकोंको भी गैरकानूनी तथा मनमाने तरीकेसे जबरन् बन्द करके तथा कितने ही प्रान्तों में बहुतेरे कांग्रेसी कार्यकर्त्ताओंको गिरफ्तार करके जो दमन शुरू किया है उसके कारण, और चूँकि इस दमनका स्पष्ट उद्देश्य यह है कि कांग्रेस और खिलाफत

  1. हकीम अजमल खाँ।