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भाषण:अहमदाबाद के कांग्रेस अधिवेशनमें-१

की कार्रवाइयोंका दम घोट दिया जाये और जनता उनको सहायतासे वंचित रखी जाये, अतः यह सभा संकल्प करती है कि जिस कद्र आवश्यकता हो, कांग्रेसके दूसरे तमाम काम बन्द रखे जायें और सब लोगोंसे अपील करती है कि वे पिछली २३ नवम्बरको बम्बईमें कार्य समितिके प्रस्तावके अनुसार सारे देश में संगठित होनेवाली स्वयंसेवक सेनामें भरती होकर शान्तिपूर्वक तथा बिना किसी तरह दिखावेके अपनेको गिरफ्तारीके लिए अर्पित कर दें। परन्तु जो लोग नीचे लिखे प्रतिज्ञा पत्रपर सही न करें, वे उस सेनामें भरती न किये जायेंगे:

ईश्वरको साक्षी मानकर में प्रतिज्ञा करता हूँ कि

(१) मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक सेनामें भरती होना चाहता हूँ।

(२) जबतक में इस सेनामें रहूँगा तबतक में वचन और कर्मसे अहिंसाका पालन करूँगा और सरगर्मी के साथ इस बातकी कोशिश करूँगा कि अपने इरादेमें भी अहिंसक बना रहूँ; क्योंकि मैं मानता हूँ कि भारतकी वर्तमान परिस्थितिमें केवल अहिंसाके द्वारा ही खिलाफत और पंजाबको सहायता मिल सकती है और स्वराज्यकी प्राप्ति हो सकती है तथा भारतकी तमाम जातियों—हिन्दू, मुसलमान, सिख, पारसी, ईसाई और यहूदियों—में एकता स्थापित की जा सकती है।

(३) मैं ऐसी एकताका कायल हूँ और हमेशा उसकी वृद्धिके लिए प्रयत्न करूँगा।

(४) मैं मानता हूँ कि भारतकी आर्थिक, राजनीतिक और नैतिक मुक्ति के लिए स्वदेशी बिलकुल आवश्यक है, और दूसरे सब किस्मके कपड़ों को छोड़कर सिर्फ हाथ-कती और हाथ-बुनी खादी ही पहनूंगा।

(५) मैं एक हिन्दूकी हैसियतसे मानता हूँ कि छुआछूतकी बुराईको दूर करना आवश्यक और न्याययुक्त है और जब-जब अवसर आयेगा में अन्त्यज जातियोंके साथ मिलूंगा-जुलूंगा तथा उनकी सेवा करनेका प्रयत्न करूँगा।

(६) मैं अपने अफसरोंकी आज्ञाओंका और उन तमाम कानून-कायदोंका पालन करूँगा जिन्हें स्वयंसेवक समिति, या कार्य समिति अथवा कांग्रेस द्वारा संस्थापित दूसरी कोई संस्था तैयार करेगी और जो इस प्रतिज्ञा-पत्रके तत्त्वके विरुद्ध न होंगे।

(७) मैं अपने देश और धर्मको खातिर बिना गुस्सा लाये जेलके कष्ट सहने, मारपीट सहने और मौत तकको अपनानेके लिए तैयार हूँ।

(८) मेरे जेल चले जानेकी अवस्थामें में कांग्रेससे अपने कुटुम्बियों तथा आश्रित जनोंके लिए किसी तरहकी सहायताका दावा न करूँगा।

इस कांग्रेसको यह विश्वास है कि १८ वर्ष तथा इससे अधिक अवस्थावाले तमाम लोग तुरन्त स्वयंसेवक सेनामें भरती हो जायेंगे।