रूप आजकी नगरपालिका है। सरकारी नगरपालिकाका अर्थ है स्वाधीनताको बेचकर पराधीनता मोल लेना ।
मुझे आशा है कि सूरतके लोग अपने निश्चयपर अटल रहेंगे और उन्होंने अबतक जितना कार्य किया है उससे अधिक कार्य करके सूरत, गुजरात और भारतको गौरवान्वित करेंगे ।
नवजीवन ५-२-१९२२
१२२. पत्र : मु० रा० जयकरको[१]
मंगलवार रात्रि [ ३१ जनवरी, १९२२][२]
इसके साथ ही आप वाइसरायके नाम मेरे पत्रकी[३] प्रति देखेंगे। यह मैं उनको कल भेज रहा हूँ । मैं इसका प्रकाशन ४ तारीखतक रोक रहा हूँ । यह आपकी अपेक्षाओं के भी अनुकूल पड़ेगा । मैं समझता हूँ कि मैं इससे अधिक कुछ नहीं कर सकता ।
आशा है आपको इस पत्रमें कोई चीज आपत्तिजनक नहीं लगेगी। वाइसराय जितना कुछ चाहते हों उससे कुछ अधिककी ही गुंजाइश इसमें है । उनको गोलमेज सम्मेलन बुलाने की जरूरत नहीं रह जायेगी। मैं इस सम्बन्धमें जितना ही सोचता हूँ उतना ही यह स्पष्ट लगता है कि वे सम्मेलन नहीं बुला सकते; लेकिन हाँ, मेरा सुझाव यदि वे चाहें तो आसानीसे स्वीकार कर सकते हैं ।
मैं इसकी एक प्रति मालवीयजीको भेज रहा हूँ ।
हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी
हिन्दू,१०-२-१९२२
- ↑ बम्बई में १४ और १५ जनवरीको नेताओंकी परिषद् हुई थी । यह पत्र परिषद् के मन्त्रियों, जयकर और नटराजन्के, दिनांक ३० जनवरी, १९२२ के एक पत्रके उत्तर में भेजा गया था । उन्होंने अपने पत्रके साथ वाइसराय के साथ हुए पत्र-व्यवहारकी प्रतियाँ भेजी थीं। वाइसरायने गोलमेज परिषद् बुलानेके उनके प्रस्ताव नामंजूर कर दिये थे। जयकर और नटराजन्ने अपने पत्रमें गांधीजीसे अनुरोध किया था कि वे अगले तीन दिनमें आगे पत्र-व्यवहार पूरा होनेतक बारडोलीका अपना कार्यक्रम स्थगित कर दें ।
- ↑ द स्टोरी ऑफ माई लाइफ, खण्ड १ से ।
- ↑ ३. देखिए "पत्र : वाइसरायको ", १-२-१९२२ ।