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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कि वे दण्ड प्राप्त करने के लिए अपनेको स्वेच्छया सरकारको सौंप दें और स्पष्ट रूप से अपना अपराध स्वीकार कर लें। मुझे आशा है कि गोरखपुर जिलेके कार्यकर्त्ता अपराधियोंको ढूँढ़ने तथा उन्हें स्वयमेव अपनी गिरफ्तारी कराने के लिए मजबूर करनेके लिए कुछ भी उठा नहीं रखेंगे। किन्तु चाहे हत्यारे मेरी सलाहको स्वीकार करें या न करें, मैं उन्हें यह बताना चाहूँगा कि उन्होंने स्वराज्यके आन्दोलनमें बहुत बड़ा रोड़ा अटकाया है। बारडोलीमें आन्दोलनको स्थगित करनेका कारण बनकर उन्होंने उसी उद्देश्यको हानि पहुँचाई है जिसकी वे शायद सेवा करना चाहते थे। मैं उन्हें यह भी बताना चाहूँगा कि यह आन्दोलन न तो हिंसाको छिपाने के लिए कोई आवरण है और न उसकी पूर्व तैयारी ही । मैं आन्दोलनको हिंसक होने या हिंसाका अग्रदूत बननेसे बचाने के लिए हर हालत में हर प्रकारका अपमान, हर प्रकारकी यन्त्रणा, पूर्ण बहिष्कार, यहाँ तक कि मृत्युको भी सहन करूँगा । मैं अपना प्रायश्चित्त सार्वजनिक रूपसे इसलिए भी कर रहा हूँ कि इस तरह अपने-आपको बन्दियोंके साथ बन्दी गृह में रहने के सौभाग्य से भी वंचित कर रहा हूँ । हमारा प्रमुख प्रश्न एक बार फिरसे दूसरा हो गया है। अब हम सरकारी विज्ञप्तियोंके वापस लिये जाने तथा बन्दियोंके मुक्त किये जानेपर जोर नहीं दे सकते। चौरीचौरा के अपराधके लिए उन्हें और हमें कष्ट सहन करना ही होगा। चाहे हम इसे चाहें या नहीं, यह घटना जीवनकी एकताको सिद्ध करती है। सभी लोगोंको, जिनमें शासक वर्ग भी शामिल है, इसका फल भोगना होगा । चौरीचौरा -काण्डसे सरकारका रवैया निश्चित रूपसे और भी सख्त हो जायेगा और पुलिस और भी भ्रष्ट हो जायेगी; और अब जो प्रतिशोध लिया जायेगा उससे लोगोंका हौसला और भी टूटेगा । आन्दोलनको स्थगित करने तथा प्रायश्चित्त करनेसे हम वापस उसी स्थिति में आ जायेंगे जिस स्थितिमें चौरीचौराकी दुर्घटनासे पहले थे । कड़ाईके साथ अनुशासनका पालन करने तथा आत्मशुद्धिसे हम उस नैतिक विश्वासको पुनः प्राप्त कर लेंगे जो सरकारी विज्ञप्तियोंको वापस लेने तथा बन्दियोंको मुक्त करनेकी माँग करने के लिए आवश्यक है ।

यदि हम इस दुःखद घटना से पूरी शिक्षा ग्रहण करें तो हम अभिशापको वरदानमें बदल सकते हैं । मन और कर्म दोनोंसे सत्यपरायण और अहिंसक बनकर तथा स्वदेशी अर्थात् खद्दरके कार्यक्रमको पूरा करके हम पूर्ण स्वराज्यकी स्थापना और पंजाब तथा खिलाफत के साथ किये गये अन्यायोंका प्रतिकार कर सकते हैं । फिर तो इसके लिए किसी व्यक्तिको सविनय अवज्ञा भी नहीं करनी पड़ेगी ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १६-२-१९२२