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परिशिष्ट

रिहा होकर स्थितिपर पुनर्विचार नहीं कर लेते तबतक सत्याग्रह बन्द रखा जायेगा । उसी अनुच्छेद में वे इस बातकी फिर पुष्टि करते हैं कि उनके दलकी माँगें ऐसी हैं जिनमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता ।

भारत सरकारको विश्वास है कि सभी विवेकशील और समझदार नागरिक यह स्वीकार करेंगे कि श्री गांधी के इस घोषणापत्रमें परमश्रेष्ठके कलकत्तेके भाषणका किसी भी रूपसे सन्तोषजनक उत्तर नहीं मिलता। वे यह भी मानेंगे कि उनकी माँगें ऐसी हैं जिनपर कोई भी सरकार—उन्हें मानना तो दूर रहा विचारतक करनेके लिए तैयार नहीं होगी। अब भारत के लोगोंके सामने जो विकल्प बच रहता है वह स्पष्ट है और उसे किसी प्रकारके शब्दजालसे छिपाया नहीं जा सकता। अब प्रश्न राजनीतिक विकासके इस या उस कार्यक्रमके बीच चुनाव करनेका नहीं रह गया है बल्कि खतरनाक नतीजोंसे भरी अराजकता और समस्त सभ्य शासनों के आधारभूत सिद्धान्तोंके बीच चुनाव करनेका रह गया है । सामूहिक सत्याग्रह राज्यके लिए इतना भयावह है कि उसका सामना पूर्ण दृढ़ता और कठोरतासे करना आवश्यक है । सरकारको अब इसमें कोई सन्देह नहीं बचा है कि उसे इस सत्याग्रहको दबाने के लिए जो भी कार्रवाई करनी पड़ेगी, उसमें उसे सम्राट्की समस्त राजभक्त प्रजा और कानूनके पाबन्द नागरिकोंका सहयोग और समर्थन मिलेगा ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडिया इन १९२१-२२