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पत्र : पॉल रिचर्डको

तुम्हें इसमें कुछ कठिनाई न लगे तो मुझे तार देना। यदि मैं गिरफ्तार न हुआ तो रविवारको सबेरे पहुँच जाऊँगा। सुरेन्द्रका पत्र मिल गया है। मैं उसे अलग उत्तर नहीं दे रहा हूँ।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ५९८८) से।
सौजन्य : राधाबहन चौधरी
 

३०. पत्र : पॉल रिचर्डको[१]

सत्याग्रहाश्रम
साबरमती
१० मार्च, १९२२

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला।

यदि गिरफ्तार न हुआ तो बारडोली जाते हुए इतवारकी सुबह मैं सूरत उतरूँगा। कृपया उस दिन बारडोली जरूर आइए। मैं आपसे लम्बी बातचीत करना चाहूँगा।

आपका वक्तव्य प्रकाशित कर रहा हूँ।[२]

हृदयसे आपका,

श्री पॉल रिचर्ड
भारतीय बँगला
अठवा लाइन्स
सूरत

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ७९८२) की फोटो-नकल तथा (जी॰ एन॰ ८६९) से।
  1. इस पत्रपर भी पिछले शीर्षककी तरह गांधीजीके हस्ताक्षर नहीं थे और गिरफ्तारीसे पहले १० मार्चकी रातको उन्होंने इसे कृष्णदासको बोलकर लिखा दिया था। १२ मार्चको वह पत्र फ्रान्सीसी लेखक पॉल रिचर्डको भेजा गया था।
  2. 'यंग इंडिया', १६–३–१९२२ में 'हिज़ साॅरो इज़ भाई साॅरो' (उनका दुःख मेरा दुःख है ) शीर्षकसे प्रकाशित। यह यंग इंडिया, २३–२–१९२२ में पॉल रिचर्डकी लोकमान्य तिलकसे भेंटके सम्बन्धमें प्रकाशित गांधीजीके एक लेखका प्रत्युत्तर था।