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मुकदमा और अदालत में बयान

श्री कैनडीके बीच हुआ पत्र-व्यवहार प्रस्तुत किया। अहमदाबादके मजिस्ट्रेट श्री चॅट-फोल्ड अगले गवाह थे। उन्होंने श्री गांधी द्वारा जमा की हुई जमानत और 'यंग इंडिया के मुद्रकको हैसियतसे श्री शंकरलाल बैंकर द्वारा दर्ज कराये गये घोषणापत्रको प्रमाणित किया।

इसके बाद पुलिसके दो औपचारिक गवाह पेश किये गये।
अभियुक्तोंने गवाहोंसे जिरह करनेसे इनकार कर दिया।

साबरमती सत्याग्रह आश्रमके निवासी और पेशेसे किसान और बुनकर, तिरेपन वर्षीय श्री मो॰ क॰ गांधीने कहा :

मैं केवल इतना कहना चाहता हूँ कि जहाँतक सरकारके प्रति राजनीतिक असन्तोषका सवाल है, उपयुक्त समयपर मैं अपराध स्वीकार करूँगा। यह बिलकुल सच है कि मैं 'यंग इंडिया' का सम्पादक हूँ और मेरे सामने जो लेख पढ़े गये हैं वे मेरे ही लिखे हुए हैं, और मालिकों तथा प्रकाशकोंने पत्रकी पूरी नीतिपर नियन्त्रण रखनेकी मुझे अनुमति दे रखी थी। बस इतना ही।

दूसरे अभियुक्त, बम्बईके एक जमींदार श्री शंकरलाल बैंकरने कहा कि उपयुक्त समय आनेपर वे शिकायत में दर्ज लेखोंको प्रकाशित करनेका अपराध स्वीकार करेंगे।

धारा १२४-कके अधीन तीन अभियोग लगाये गये थे। अभियुक्तोंको सेशन सुपुर्द कर दिया गया। मुकदमे की सुनवाई १८ तारीखको होगी।

श्री गांधीने अदालत में मौजूद अपने साथियोंसे कहा कि वे उनके द्वारा सम्पादित पत्रोंका प्रकाशन जारी रखें।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, १३–३–१९२२
 

३८. भेंट : इन्दुलाल याज्ञिकसे[१]

साबरमती जेल
११ मार्च, १९२२

मेरे साथ बात करते हुए गांधीजीने कहा :

अजमेर में तो काफी बड़ा काम हुआ है। वहाँ मौलाना अब्दुल बारी साहबने[२] वहाँ मौलना साहब ने बहुत ही जोशीला भाषण दिया[३] जिससे वहाँ इकट्ठे हुए हजारों मुसलमानोंके मनपर गहरा

  1. गुजरातके एक राजनीतिक नेता; वर्षोंतक गांधीजी के साथी; सन् १९२२-२४ में गांधीजीके कारावासकी अवधि में नवजीवन के सम्पादक; लोक-सभाके सदस्य।
  2. गांधीजीने अजमेर में ९ मार्चको आयोजित मुस्लिम उलेमाओंके सम्मेलनमें भाग लिया था।
  3. १८३८-१९२६; खिलाफत आन्दोलनमें सक्रिय भाग लिया; मुसलमानोंसे गोवध बन्द करनेको कहते थे।