करो। नजरको सिर्फ अपने सामनेकी जमीनपर रखकर चलो। आँखोंमें मालिन्य आने लगे तो उनपर इतना क्रोध करो, मानो उन्हें फोड़ डालोगे। बराबर पवित्र पुस्तकोंको ही साथ रखो। ईश्वर तुम्हारी सब प्रकारसे रक्षा करे।
शुभेच्छु,
बापूके आशीर्वाद
[गुजराती से]
पाँचवे पुत्रको बापूके आशीर्वाद
६७. पत्र : यरवदा जेलके सुपरिंटेंडेंटको[१]
यरवदा सेन्ट्रल
१४ अक्तूबर, १९२२
सुपरिंटेंडेंट
यरवदा सेन्ट्रल जेल
महोदय,
सरकारने मुझे 'मॉडर्न रिव्यू' मँगाने की अनुमति नहीं दी, उस सिलसिलेमें मेरा यह निवेदन है कि पिछले सप्ताह तिमाही मुलाकात में मेरी पत्नीके साथ जो मित्रगण आये थे, उन्होंने मुझे बताया था कि सरकारने यह घोषणा की है कि कैदी पत्रिकाएँ मँगा सकते हैं। यदि यह सूचना सही है तो मैं पुनः प्रार्थना करता हूँ कि मुझे मद्रास से प्रकाशित व श्री नटेसन द्वारा सम्पादित मासिक पत्रिका 'इंडियन रिव्यू' मँगानेकी इजाजत दी जाये।
आपका आज्ञाकारी,
मो॰ क॰ गांधी
[पुनश्च :]
('इंडियन रिव्यू' की अनुमति नहीं दी गई।—मो॰ क॰ गांधी)
अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ८०१५) की फोटो नकल तथा यंग इंडिया, ६-३-१९२४ से
- ↑ पत्र यंग इंडिया में गांधीजीके जेलसे किये गये पत्र-व्यवहारको दूसरी किस्तके रूपमें, टिप्पणीके साथ प्रकाशित किया गया था।