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६८. पत्र : यरवदा जेलके सुपरिंटेंडेंटको

यरवदा जेल
२० दिसम्बर, १९२२

सुपरिंटेंडेंट
यरवदा सेन्ट्रल जेल
महोदय,

आपने मुझे कृपापूर्वक यह बताया था कि जिन लोगोंने हालमें मुझसे मिलनेकी अनुमति माँगी थी, उनमें से पण्डित मोतीलाल नेहरू और हकीम अजमलखाँ तथा श्री मगनलाल गांधीको अनुमति नहीं दी गई।

श्री मगनलाल गांधी मेरे बहुत ही निकटके सम्बन्धी हैं। उन्हें मेरी ओरसे मुख्तियारीके अधिकार प्राप्त हैं। वे मेरे कृषि तथा बुनाई और कताई-सम्बन्धी प्रयोगोंकी देख-रेख करते हैं, और दलितवर्गोंसे सम्बन्धित मेरे कार्यके घनिष्ठ सम्पर्क में हैं।

पण्डितजी और हकीमजी, राजनीतिक सहकर्मी होनेके अलावा, मेरे निजी मित्र भी हैं, जिन्हें मेरे स्वास्थ्य आदिकी चिन्ता रहती है।

यदि आप कृपा करके सरकारसे यह पता लगायें कि पण्डित मोतीलाल नेहरू, हकीम अजमलखाँ और श्री मगनलाल गांधीको अनुमति न देनेके क्या कारण हैं तो मैं आपका आभारी होऊँगा।

कैदियोंसे मुलाकात के सम्बन्धमें जेलके जो नियम हैं, उनके अनुसार तो उपर्युक्त तीनों सज्जन अपने कैदी मित्रोंसे मुलाकात करनेके अधिकारी जान पड़ते हैं।

यदि सम्भव हो तो मैं यह भी जानना चाहूँगा कि लोगोंके मुझसे मुलाकात करनेके सम्बन्धमें सरकारकी इच्छा क्या है। मैं किनसे मिल सकता हूँ और किनसे नहीं? अनुमति लेकर आये मुलाकातियोंसे मैं उन गैर-राजनीतिक विषयों या गति-विधियोंके बारे में, जिनसे मेरा सम्बन्ध है, कोई जानकारी प्राप्त कर सकता हूँ या नहीं?

आपका आज्ञाकारी,
मो॰ क॰ गांधी
कैदी सं॰ ८६७७

अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ८०१६) की फोटो नकल तथा यंग इंडिया, ६–३–१९२४ से।