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आजतक[३] निम्नलिखित पुस्तकें पढ़ चुका हूँ।
- १. 'मास्टर ऐंड हिज टीचिंग'
- २. 'आर्म ऑफ गॉड'
- ३. 'क्रिश्चियनिटी इन प्रैक्टिस'
- ४. 'बाई एन अननोन डिसाइपल'
- ५. 'सत्याग्रह और असहयोग'
- ६. 'कुरान'
- ७. 'दि वे टु बिगिन लाइफ'
- ८. 'ट्रिप्स टु दि मून'
- ९. 'दि इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन' (ठाकोर)
- १०. 'रामायण' तुलसीदास
कलसे मैंने रोटियाँ पकानी शुरू कर दी हैं।
२२ अप्रैल, शनिवार
'नेचुरल हिस्ट्री ऑफ बर्ड्स' समाप्त की।
- ↑ गुजरातीमें लिखित यह डायरी गांधीजीके यरवदा सेन्ट्रल जेलमें व्यतीत मार्च १९२२ से जनवरी १९२४ तकके जेल जीवनका विवरण है। मूल डायरी एक छोटे आकारकी कापीपर तारीख व दिन आदिके अनुसार पेन्सिल और स्थाहीसे लिखी गई थी। सभी दिनोंका ब्योरा इसमें नहीं है, स्थान-स्थानपर कुछ दिनोंको छोड़ दिया गया है। गांधीजीने इस बीच जो पुस्तकें पढ़ीं उनके नामोंको, जो उन्होंने गुजराती लिपिमें दिये हैं, सामान्यतः यंग इंडिया अथवा अन्य उपलब्ध जानकारीके आधारपर जाँच लिया गया है। मूल डायरीमें गांधीजीके स्वाक्षरोंमें अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओंकी पुस्तकोंकी एक सूची है, जिन्हें निश्चय ही गांधीजीने जेलमें पढ़ा था। इस सूचीको यहाँ जेल डायरी, १९२३ के साथ अन्तमें दिया जा रहा है। जेल डायरी, १९२३ भी उस वर्षके अन्तिम शीर्षकके रूपमें दी जा रही है।
- ↑ डायरीमें कहीं-कहीं अंग्रेजी तारीखोंके साथ-साथ विक्रम संवत्की तिथियाँ भी दी गई हैं। यहाँ हम मूलमें दी गई अंग्रेजी तारीखें ही दे रहे हैं।
- ↑ गांधीजी २१ मार्च, १९२२ को यरवदा सेन्ट्रल जेल ले जाये गये थे। अपने कारावासके दिनों में उन्होंने धर्म, साहित्य, समाज-विज्ञान और भौतिक विज्ञान सम्बन्धी लगभग १५० पुस्तकें पढ़ीं। अप्रैल १९२४ से अक्तूबर १९२४ तक यंग इंडियामें धारावाहिक रूपसे प्रकाशित माई जेल एक्सपीरिएन्सेज शीर्षक लेखमाला में गांधीजीने इन पुस्तकोंमें से कुछका विशद विवेचन किया है। यह लेखमाला नवजीवन में भी प्रकाशित हुई थी।