पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/१९२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

६९. पत्र : यरवदा जेलके सुपरिंटेंडेंटको

यरवदा जेल
२० दिसम्बर, १९२२

सुपरिंटेंडेंट
यरवदा सेन्ट्रल जेल
महोदय,

आपने मुझे यह बताने की कृपा की है कि इंस्पेक्टर जनरलने मुझे गुजराती की दो मासिक पत्रिकाओं, 'वसन्त' और 'समालोचक' के उपयोगकी अनुमति देना अस्वीकार कर दिया है और इसका कोई कारण नहीं बताया है।

कैदियों द्वारा पत्रिकाओंके उपयोगके सम्बन्धमें सरकारका जो आदेश है, उसे देखते हुए उपर्युक्त फैसला आश्चर्यजनक लगता है। सरकारी आदेश, जैसा कि मैंने उसे समझा है, यह है कि कैदी ऐसी पत्रिकाएँ मँगा सकते हैं, जिनमें मौजूदा राजनीतिक समाचार न हों। 'समालोचक' से मैं बहुत परिचित नहीं हूँ, पर 'वसन्त' से हूँ। वह एक उच्च कोटिका गुजराती साहित्यिक मासिक है, जिसके सम्पादक सुप्रसिद्ध समाज- सुधारक राव बहादुर रमणभाई हैं और उसमें अधिकतर ऐसे लोगोंकी रचनाएँ रहती हैं जो किसी-न-किसी तरह सरकारसे सम्बद्ध हैं। मैंने उसमें कभी राजनीतिक समस्याओंकी चर्चा और राजनीतिक समाचार नहीं पाये। यह हो सकता है कि इन पत्रिकाओंकी अनुमति न देनेके अन्य कारण इंस्पेक्टर जनरलके पास रहे हों, या 'वसन्त' और 'समालोचक' ये दोनों पत्रिकाएँ राजनीतिक हो गई हों। इसलिए क्या आप कृपा करके इंस्पेक्टर जनरलसे उनके इस फैसले के कारणोंका पता अब लगायेंगे? मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूँ कि यदि वह फैसला बदला नहीं गया तो मैं गुजराती साहित्य से सम्पर्क रखने के अवसरसे वंचित हो जाऊँगा।

आपका आज्ञाकारी,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ८०१७) की फोटो नकल तथा यंग इंडिया, ६–३–१९२४ से।