पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/२४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२०३
भेंट : वी॰ एस॰ श्रीनिवास शास्त्रीसे
उन्होंने पूछा

आप जो इतनी बार विदेश हो आये हैं, इससे क्या आपके स्वास्थ्यमें कुछ सुधार हुआ है?

इसके बाद डाक्टर फाटकने गांधीजीको उस वक्तव्यका मसविदा पढ़कर सुनाया जिसपर अपने आपरेशनकी मंजूरी देनेके लिए उन्हें हस्ताक्षर करने थे। गांधीजीने उसे एक बार सुना और फिर चश्मा लगाकर उसे स्वयं पढ़ा। तब उन्होंने कहा, मैं इसके शब्दोंमें थोड़ा परिवर्तन करना चाहूँगा। फिर कर्नल मैडॉकसे, जो उस समय कमरे में ही थे, पूछा, आपका क्या खयाल है? कर्नल मैडॉकने कहा, इसके लिए उपयुक्त भाषा क्या हो, यह तो ठीक-ठीक आप ही जानते हैं। इस सम्बन्धमें मेरी सलाह अधिक महत्त्वकी न होगी।

इसके बाद गांधीजीने एक लम्बा वक्तव्य लिखवाया जो मैंने पेंसिलसे लिख लिया।[१]

जब यह पूरा हो गया तब मैंने उसे उन्हें पढ़कर सुनाया। तब उन्होंने कर्नल मैडॉक को अपने पास बुलाया और मैंने उनके कहनेसे उसे फिर पढ़कर सुनाया। कर्नल मैडॉक पूर्णतः सन्तुष्ट थे और बोले : "निःसन्देह उपयुक्त भाषामें कहना आपको ही आता है।" तब गांधीजी उस कागजपर हस्ताक्षर करनेके लिए सीधे होकर बैठ गये और उन्होंने उसपर पेन्सिलसे हस्ताक्षर कर दिये। हस्ताक्षर करते समय उनका हाथ बहुत काँपा और मैंने देखा कि उन्होंने गांधी शब्दमें अंग्रेजी अक्षर 'आई' पर बिन्दु भी नहीं लगाया है। उन्होंने अन्तमें डाक्टरसे कहा :

देखिए, मेरा हाथ कैसा काँपता है। इसे भी आप ही ठीक करेंगे।

कर्नल मैडॉकने उत्तर दिया, "जी हाँ, हम आपको खूब तगड़ा बना देंगे।"

चूँकि आपरेशनका कमरा तैयार किया जा रहा था डाक्टर चले गये और मैं महात्माजीके पास लगभग अकेला रह गया। एक-दो बिलकुल व्यक्तिगत बातोंके बाद मैंने उनसे पूछा कि क्या वे कोई खास बात कहना चाहते हैं। जब उन्होंने इसका उत्तर दिया तो मैंने देखा कि वे कुछ कहने के लिए उत्सुक ही थे।

मैं नहीं चाहता कि आपरेशनके बाद मेरी रिहाईके लिए कोई आन्दोलन किया जाये। यदि किया ही जाता है तो वह उचित ढंगसे किया जाना चाहिए। सरकारसे मेरा झगड़ा तो चल ही रहा है और वह तबतक चलता रहेगा जबतक उसका मूल कारण मौजूद है। निःसन्देह रिहाईके बारेमें कोई शर्तें नहीं मानी जा सकती। यदि सरकारका खयाल हो कि वह मुझे काफी अरसेतक जेलमें रख चुकी है तो वह मुझे छोड़ सकती है। और अगर वह यह खयाल करे कि मैं निरपराध हूँ और मेरा हेतु अच्छा रहा है तो मेरी रिहाई [उनके लिए] सम्मानजनक होगी। यद्यपि सरकारसे मेरा सख्त झगड़ा है, फिर भी मुझे अंग्रेजोंसे प्रेम है और कितने ही अंग्रेज मेरे मित्र हैं।

  1. गांधीजीने आपरेशन सम्बन्धी यह वक्तव्य कर्नल मैडकके नाम पत्रके रूपमें लिखवाया था। देखिए अगला शीर्षक।