पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/३४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३०४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जोर देकर यही कहूँगा कि उन्हें औपचारिक ढंगसे और विनम्रतापूर्वक अनुमति लेनी चाहिए। यदि अनुमति नहीं दी जाती तो उस फैसले के विरुद्ध एक आन्दोलन चलाने का उचित आधार प्राप्त हो सकता है। आप सर प्रभाशंकरको क्यों नहीं लिखना चाहते? वे आपको काफी अच्छी तरह जानते हैं, वे अनुकूल निर्णय प्राप्त कर लेंगे।

मुझे आशा है कि आप जो चाहते हैं उसे पाने में सफल होंगे।

मैं इस बात से सहमत हूँ कि प्रान्तीय कमेटी जब कभी यह समझे कि काठियावाड़के शिक्षा संस्थानोंको सहायता की आवश्यकता है तब उसे उनकी सहायता करनी चाहिए।

देवचन्दभाईको मेरे पास आनेसे रोककर आपने ठीक किया है। मैंने उन्हें सन्देश भेजा था कि वे जब भी आयें, उनका स्वागत है और यदि वे आते ही हैं तो मैं उन्हें विस्तारपूर्वक समझाऊँगा कि क्यों मुझपर अध्यक्ष होने के लिए जोर नहीं डालना चाहिए ।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ९५९६) की फोटो-नकलसे।
 

१८९. भेंट : 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के प्रतिनिधिसे

जुहू
२० मार्च, १९२४

श्री गांधीने प्रश्न किये जानेपर बड़ी खुशीसे अपनी दैनिकचर्याक बारेमें कुछ बातें बताईं। वे नियमपूर्वक नित्य प्रातः ४ बजे उठ जाते हैं। सामूहिक प्रार्थना और भजनके बाद, जिसमें घरके सभी लोग भाग लेते हैं, कुछ देर धार्मिक साहित्यका पाठ होता है और इसके बाद वे थोड़ी देरके लिए फिर सो जाते हैं। ६ बजे वे दूधका नाश्ता लेते हैं—श्री गांधीने आँखों में मुस्कराहट भरकर बताया कि वे भोजन सम्बन्धी कर्नल मैडॉकके निर्देशोंका ईमानदारीसे पालन कर रहे हैं—और बादमें अपने पुराने डाक्टरकी सलाहके ही अनुसार बरामदेमें टहलते हैं और अपने घावको धूप दिखाते हैं। इसके तुरन्त बाद वे अंग्रेजी और गुजराती पत्र-व्यवहारमें लग जाते हैं। अंग्रेजी पत्र लिखानेके लिए आशुलिपिकों की व्यवस्था कर दी गई है, जिससे उनका काम काफी सरल हो गया है। दोपहर तक का उनका समय पत्र-व्यवहार, राजनीतिक समस्याओंके अध्ययन और उन विशिष्ट राजनीतिक और अन्य मित्रोंसे मिलनेमें जाता है जिनसे मिलने का समय पहलेसे निश्चित हो चुकता है। तीसरे पहरके लगभग वे स्नान करते हैं और चार बजे काफी बड़ी संख्या में आनेवाले मुलाकातियोंसे मिलनेके लिए तैयार हो जाते हैं।