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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैंने आपमें से कुछ विद्यार्थियोंका गायन सुना, लेकिन मुझे खेदके साथ कहना पड़ता है कि आप अभी इतनी तरक्की नहीं कर पाये हैं कि मैं आपको कोई प्रमाणपत्र दे सकूँ। फिर भी मुझे आशा है कि मैं पूर्ण स्वास्थ्य लाभ करनेपर जब अगली बार आपके स्कूल में आऊँगा तबतक आप इसमें पास होने लायक योग्यता प्राप्त कर लेंगे, हालाँकि इस कलामें सिद्धहस्त बनना आपके लिए शायद तबतक भी सम्भव न हो।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २६-३-१९२४
 

१९८. सन्देश : दक्षिण आफ्रिकी यूरोपीयोंके नाम

[२२ मार्च, १९२४ के पूर्व][१]

यदि आप हमपर इसी तरह अत्याचार करते रहेंगे तो हम आपके साम्राज्यसे अलग हो जायेंगे और हमारे अलग होनेपर फिर आपका साम्राज्य कहाँ रहेगा?

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २६-३-१९२४
 

१९९. पत्र : द्विजेन्द्रनाथ ठाकुरको

अन्धेरी
२२ मार्च, १९२४

प्रिय बड़ोदादा,

'गीता' के सम्बन्ध में अपने निबन्धोंकी दो प्रतियाँ भेजकर आपने बड़ी कृपा की। एक प्रतिपर आपका स्नेहांकन देखकर मैं कृतज्ञतासे भर गया। मैं उसे एक बहुमूल्य उपहारकी भाँति सहेजकर रखूँगा और 'गीता' के सन्देशकी आपकी व्याख्याको यथाशीघ्र पढ़ने-समझनेका प्रयास करूँगा।

श्री एन्ड्रयूजसे आपके कृपापूर्ण सन्देश बराबर मिलते रहते हैं। उनकी उपस्थितिसे मेरे चित्तको बड़ी शान्ति मिलती है। आपकी बड़ी कृपा है कि आपने उनको मेरे पास आने की अनुमति दी।

अत्यधिक आदर सहित,

आपका,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ८५६४) की फोटो-नकलसे।
  1. सरोजिनी नायडूने केप टाउनमें २२ मार्चको एक सभामें अपने भाषण के दौरान यह सन्देश उद्धृत किया था।