पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/३६९

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२१६. पत्र : रागिनीदेवीको

पोस्ट अन्धेरी
२५ मार्च, १९२४

प्रिय श्रीमती रागिनीदेवी,

मैं आपके ११ फरवरीके कृपापत्र[१] और भारतीय संगीतके सम्बन्धमें लिखे गये आपके लेखकी रोचक कतरनके लिए आपको धन्यवाद देता हूँ।

आपने मेरे स्वास्थ्यके बारेमें कृपापूर्वक जो पूछताछ की है, उसके लिए आपका आभारी हूँ। उत्तरमें आपसे और अन्य जिज्ञासु मित्रोंसे मेरा यह निवेदन है कि मेरा स्वास्थ्य लगातार सुधर रहा है और जल्दी ही मेरे पूर्ण स्वस्थ हो जानेकी आशा है।

हृदयसे आपका,

श्रीमती रागिनीदेवी

१२४०, यूनियन स्ट्रीट
ब्रुकलिन

न्यूयार्क
अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८५८६) की फोटो नकल तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१४८ से।
 

२१७. पत्र : एस॰ ए॰ ब्रेलवीको

पोस्ट अन्धेरी
२५ मार्च, १९२४

प्रिय श्री ब्रेलवी,

मैं प्रोफेसर शाह के उपन्यासकी रूपरेखा देख गया हूँ। वे कृपापूर्वक मुझे उसकी पाण्डुलिपि भेजने को तैयार हैं। चाहता हूँ पूरे उपन्यासको पढ़नेका समय मेरे पास होता, लेकिन 'नवजीवन' और 'यंग इंडिया' के सम्पादनका काम मैं फिरसे हाथमें ले रहा हूँ। इस बातको देखते हुए लगता है कि मुझे इस लोभको संवरण करना ही पड़ेगा। जबतक मुझमें पहले जैसी शक्ति नहीं आ जाती—क्या जाने कभी आती भी उसका एक-एक क्षण इसी है या नहीं—तबतक जितना समय मुझे मिल सकता है कामके लिए सुरक्षित मानना पड़ेगा। क्या वह रूपरेखा वापस भेज दी जाये?

  1. रागिनी देवीने इसमें बताया था कि अमेरिकाकी गांधीजीमें सच्ची दिलचस्पी है। उन्होंने अमेरिकामें भारतीय संगीतको लोकप्रिय बनानेके सम्बन्धमें किये जानेवाले अपने कार्थके लिए आशीर्वाद माँगा था।