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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


आपके पत्रके सम्बन्धमें आपको देवदासने लिखा है। उसने पत्र में जो कहा है। मेरे द्वारा उसकी पुष्टि जरूरी नहीं है; आप जब कभी आयें, आपका स्वागत है। आप कृपा करके एक पूरा दिन यहाँ गुजारें। यह स्थान बेशक बहुत सुन्दर है और आप इसे पसन्द करेंगे।

हृदयसे आपका,

श्री एस॰ ए॰ ब्रेलवी
'बॉम्बे क्रॉनिकल'
बम्बई

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८५८७) की फोटो नकल तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१४७ से।
 

२१८. पत्र : डा॰ सत्यपालको

पोस्ट अन्धेरी
२५ मार्च, १९२४

प्रिय डा॰ सत्यपाल,

आपका पत्र पाकर प्रसन्नता हुई। उसके द्वारा मुझे हिन्दुओं और मुसलमानोंके बीच तनावके सम्बन्धमें बहुत-कुछ जानकारी मिल गई हैं। अगली बार आप सिखों और हिन्दुओंके सम्बन्धमें जो लिखकर भेजनेवाले हैं, मैं उसकी प्रतीक्षा उत्सुकतासे कर रहा हूँ। मैं जानता हूँ कि देशके सम्मुख बहुत गम्भीर और बहुत उलझन-भरी समस्या उपस्थित है और इसका सन्तोषजनक और स्थायी हल निकालनेकी हमारी क्षमता पर स्वराज्य निर्भर है। मैं जबसे रिहा हुआ हूँ तभीसे दिन-रात इसके सम्बन्धमें विचार करता रहा हूँ। नेताओंसे भेंट करनेके बाद तुरन्त इसके सम्बन्धमें लिखना आरम्भ कर दूँगा।

आपने मेरे स्वास्थ्यके सम्बन्धमें जो पूछताछ की है, उसके लिए धन्यवाद। मेरा स्वास्थ्य धीरे-धीरे सुधर रहा है। पत्रसे जाना कि आप अब अमृतसरमें नहीं, बल्कि लाहौर में हैं। इस परिवर्तनका क्या कारण है?

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

डा॰ सत्यपाल
लाहौर

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ १०४६०) की माइक्रोफिल्म तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१४६ से।