पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/३९१

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२४२. पत्र : डी॰ आर॰ मजलीको

पोस्ट अन्धेरी
२८ मार्च, १९२४

प्रियवर मजली,

तुम्हारा पोस्टकार्ड पाकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई। यह जानकर मुझे खुशी हुई कि अब तुम्हारा मन अपेक्षाकृत स्वस्थ है। शायद बुखार आनेसे भीतरी विकार अच्छी तरह निकल गया है। सावधानीसे परिचर्या होनेपर तुम शीघ्र ही ज्वरसे छुटकारा पा लोगे। अपने इलाजके सम्बन्धमें जो जानकारी तुम मुझे दे रहे हो, निश्चय ही मैं उसका उपयोग करूँगा। तुम्हारा यह विचार कि "मैं किसी लायक नहीं", मुझे पसन्द आया। यदि हममें से प्रत्येक ऐसा ही सोचने लगे तो कितना अच्छा हो। तब कोई भी नेता बनना नहीं चाहेगा, बल्कि सभी सेवक और सहयोगी होंगे। यदि हर आदमी अपने दिलसे यह महसूस करने लगे कि वह खुद कुछ नहीं है और उद्देश्य ही सब कुछ है तो स्वराज्य हासिल करना और उसे चलाना अत्यन्त ही रुचिकर बन जायेगा। मैं तुम्हारा यह पत्र अपने सम्पादकत्वमें निकलनेवाले 'यंग इंडिया' के प्रथम अंकमें[१] छापना चाहता हूँ। मैं अगले सप्ताहसे सम्पादन कार्य पुनः हाथमें ले रहा हूँ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत डी॰ आर॰ मजली
बेलगाँव

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६१०) की फोटो-नकल तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१६० से।
 

२४३. पत्र : ए॰ क्रिस्टोफरको

पोस्ट अन्धेरी
२८ मार्च, १९२४

प्रियवर क्रिस्टोफर,

इतने वर्षों बाद आपकी परिचित लिखावट देखकर बहुत ही खुशी हुई।

मैं दक्षिण आफ्रिकाकी घटनाओंको ध्यान और चिन्तासे देख रहा हूँ और एक बीमार आदमी जो कुछ कर सकता है, वह सब मैं करूँगा। मैं जानता हूँ कि श्रीमती नायडूकी उपस्थिति से आपको अतीव प्रसन्नता और शक्ति दोनों ही उपलब्ध हुई हैं। कृपया मुझे घटनाओंकी प्रगतिकी सही जानकारी अच्छी तरहसे देते रहें; और इसके

  1. देखिए "टिप्पणियाँ", ३-४-१९२४।

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