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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लिए मुझे सभी कतरनें और अन्य ऐसे सभी कागजात भेजते रहें जिन्हें आप समझते हों कि वे मुझे देखने चाहिए। आपने मुझसे अपने लोगोंमें एकता स्थापित करनेके लिए तार देने को कहा है। मैं समझता हूँ कि उससे कुछ लाभ नहीं होगा। आपके पत्रपर ११ फरवरी की तारीख पड़ी है। अब २८ मार्च हो गई है। दक्षिण आफ्रिकामें श्रीमती नायडूकी प्रगति के सम्बन्धमें जो तार प्राप्त हो रहे हैं, उनसे मैं यह समझ पाया हूँ कि आप एक संयुक्त मोर्चा जमाये हुए हैं। इसलिए मैं एकता न होनेकी बात क्यों मान लूँ जब कि हर चीजका संकेत दूसरी दिशामें है।

पाथेरसे मुझे एक तार[१] मिला है। आप देखेंगे कि मैंने उस तारका पूरा लाभ उठाया है। आपके तारके जवाबमें मैंने श्रीमती नायडूको जो लम्बा सन्देश तार द्वारा भेजा है[२], उसका खयाल करते हुए मैंने फिर कोई और तार नहीं भेजा। मैं अच्छी प्रगति कर रहा हूँ। श्री एन्ड्रयूज मेरे साथ हैं और मेरी देखभाल कर रहे हैं और मुझे मदद दे रहे हैं।

आप सब मेरे और श्री एन्ड्रयूजके आदर स्वीकार करें।

हृदयसे आपका,

ए॰ क्रिस्टोफर महोदय
१५६, विक्टोरिया स्ट्रीट
डर्बन

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६२४) की माइक्रोफिल्म तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१६५ से।
 

२४४. पत्र : महादेव पाण्डे और करामत अली मकदूमको

पोस्ट अन्धेरी
२८ मार्च, १९२४

प्रिय मित्रो,

आपका इस मासकी २५ तारीखका पत्र मिला।

मेरी कठिनाई बुनियादी है, इसलिए मुझे डर है कि मैं आपकी मददके लिए कुछ नहीं कर सकता। आप कहते हैं कि हमारे भारतीय प्रवासियोंके सामने रखी गई शर्तोंको हासिल करनेके लिए नीग्रो लोग शोर मचा रहे हैं। मैं व्यक्तिगत रूपसे इसे बुरा नहीं समझता और न ही ब्रिटिश गियानाके हमारे देशभाइयोंको नीग्रो लोगोंके प्रस्तावित बहुसंख्यक आव्रजनसे डरना चाहिए। यदि १,३०,००० भारतीय अपना आचरण ठीक रखें तो वे अपना हित तो साधेंगे ही, साथ ही नीग्रो लोगों और वहाँ जानेवाले हर व्यक्तिका भी लाभ करेंगे। निश्चय ही उतने लोगों में से आपको पर्याप्त

  1. देखिए "वक्तव्य : समाचारपत्रोंको", २३-३-१९२४।
  2. देखिए "तार : सरोजिनी नायडूको, १६-३-१९२४ के पूर्वं।