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पत्र : ए॰ जी॰ अडवानीको

संख्या में डाक्टर, पण्डित, मौलवी तथा अन्य धंधोंके लोग तैयार कर सकना चाहिए। मैं यह भी स्पष्ट देख रहा हूँ कि इस समय भी यदि भारतीय लोग ब्रिटिश गियाना जाना चाहें तो उनमें से किसीको भी वहाँ बेरोक-टोक प्रवास करनेसे रोकनेवाली कोई व्यवस्था नहीं है। मुझे जिस बातका डर है और जो मैं भारतकी वर्तमान असहाय अवस्थामें नहीं होने देना चाहता वह यह है कि प्रोत्साहन या सहायता देकर प्रव्रजन कराया जाये। सैकड़ों स्वतन्त्र भारतीय स्ट्रेट्स, मॉरीशस, मैडागास्कर, जंजीबार तथा संसारके अन्य भागोंमें बेरोक-टोक जाते हैं। मेरी समझ में तो यह नहीं आता कि उपनिवेश बसानेकी एक योजनाको लेकर इतना गरमागरम प्रचार और धनका इतना अपव्यय किसलिए हो रहा है। यदि आप बुरा न समझें तो मैं आपको बतला दूँ कि सिर्फ इसी कारण मुझे इसपर बिलकुल भी भरोसा नहीं है, और बुनियादी कठिनाई की बात तो अपनी जगह है ही।

हृदयसे आपका,

सर्वश्री महादेव पाण्डे और करामत अली मकदूम
मेडन्स होटल
[दिल्ली]

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६२५) तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१६८ से।
 

२४५. पत्र : ए॰ जी॰ अडवानीको

पोस्ट अन्धेरी
२९ मार्च, १९२४

प्रिय श्री अडवानी'[१],

आपका पत्र[२] मिला।

आपने जिस बात का उल्लेख किया है उसके बारेमें मुझे कुछ भी मालूम नहीं था, किन्तु मैं सच्चाईका पता लगानेके लिए जो कुछ भी कर सकता हूँ, तुरन्त कर रहा हूँ। मैं चाहूँगा कि आप उन सभी प्रमाणोंको जो अपने वक्तव्यके पक्षमें आपके पास हों, मेरे पास भेज दें। मैं समझता हूँ, आप ऐसा नहीं चाहते कि मैं आपके पत्रको गोपनीय मानूं, क्योंकि यदि मुझे सचाईका पता लगाना है तो इसका उपयोग अवश्यमेव करना होगा। जबतक नितान्त आवश्यक न हो, तबतक मैं इसे समाचार-

  1. ए॰ जी॰ अडवानी, एक सिंधी नेता।
  2. २४ मार्चके इस पत्रमें गांधीजी का ध्यान इस तरफ दिलाया गया था कि कराची कांग्रेस कमेटीकी जुलाई १९२१ से मार्च १९२१ तककी रिपोर्ट इसलिए प्रकाशित नहीं की गई कि पैसेके अभिकथित गवनको छिपाया सके। अडवानीने मामले की जाँच करानेकी मांग की थी।