पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/४१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३७९
पत्र : महादेव देसाईको

जा सकती जबतक कि वर्तमान घटनाओंका में पूरा अध्ययन नहीं कर लेता और यहाँ उपस्थित नेताओंसे पूरी बातचीत नहीं कर लेता। फिर भी उन्होंने दिल खोलकर हँसते हुए प्रसन्न मुद्रामें हमारे संवाददाताको सुझाव दिया कि आप छायादार खजूरके झुरमुटों और धीमे-धीमे हिलोरें लेते समुद्र के वर्णनसे अपनी मुलाकातके विवरणको विस्तार दे सकते हैं।

जब गांधीजीसे यह प्रश्न किया गया कि क्या आपने सलाह-मशविरेके बाद हिन्दू-मुस्लिम एकता और अस्पृश्यताकी महत्त्वपूर्ण समस्याओंमें से एक या दोनोंको हाथमें लेनेका कोई निर्णय किया है, तो उन्होंने उत्तर दिया कि हिन्दू-मुस्लिम एकता और अस्पृश्यता दोनों ही सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण प्रश्न हैं और यह तय नहीं हुआ है कि उनमें से कौनसा पहले लिया जायेगा या दोनोंको साथ-साथ ही हाथमें लिया जायेगा।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ४-४-१९२४
 

२६२. पत्र : महादेव देसाईको

[३ अप्रैल, १९२४ के पश्चात][१]

भाई महादेव,

इतना तो लेने योग्य ही है। गुजराती 'नवजीवन' के लिए तो निश्चय ही उपयोगी है। इसलिए कुछ अन्य लेख छोड़े जा सकते हों तो छोड़ देना और इन्हें लिया जा सकता हो ले लेना। ऐसा न हो सके तो परिशिष्टांक निकालना। जो उचित हो वह करना।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र (एस॰ एन॰ ८५७१) की फोटो नकलसे।
  1. गांधीजीने ३ अप्रैलको अपने साप्ताहिक पत्रोंका सम्पादन पुनः आरम्भ किया था। यह पत्र उसके बाद ही लिखा गया जान पड़ता है।