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पत्र : जयरामदास दौलतरामको

द्वारा अपनी राय दें और सुविधाजनक तारीख के बारेमें भी मुझे लिखें। मैं चाहता हूँ कि आप उसमें रहें। क्या यह सम्भव नहीं कि आप एक मास जमनालालजीके साथ रह सकें? वे नासिकमें हैं, जहाँ मौसम खुश्क और स्वास्थ्यप्रद है। पूनाके वैद्य भी कभी-कभी उन्हें देखने आते हैं। मैं चाहूँगा कि आप अपने इलाजका उन्हें पूरा मौका दें। वे देवदास के कहनेपर मेरे बीमार साथियोंको देखने यहाँ आये थे। उन्होंने इस बातपर जोर दिया था कि आपको पपीते और मुनक्कोंके अलावा और कुछ नहीं खाना चाहिए।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत सी॰ राजगोपालाचारी

एक्सटेन्शन

सेलम
अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६५२) की फोटो-नकलसे।
 

२६५. पत्र : जयरामदास दौलतरामको

पोस्ट अन्धेरी
४ अप्रैल, १९२४

प्रियवर जयरामदास,

आपने मालवीयजी, मोतीलालजी, हकीमजी और अन्य नेताओंकी बम्बई यात्राकी खबर समाचार-पत्रोंमें पढ़ी होगी। आज अन्धेरीमें जो बात हो रही है उसे किसी प्रकार भी सम्मेलन नहीं कहा जा सकता, हालांकि 'यंग इंडिया' के स्तम्भों में मैंने स्वयं इसी शब्दका प्रयोग किया है। हम लोग छुटपुट ढंगसे बातचीत कर रहे हैं। हकीमजीने केवल हिन्दू-मुस्लिम समस्यापर बातचीत की। वे जा चुके हैं। मालवीयजी अभी यही हैं। वे भी केवल हिन्दू-मुस्लिम एकतापर बातचीत करते हैं। केवल मोती-लालजी कौंसिल-प्रवेश के प्रश्न में दिलचस्पी रखते हैं, क्योंकि जाहिर है उन्हें इसीको लेकर अपनी नीति निर्धारित करनी है। किन्तु हम किसी निर्णयपर नहीं पहुँचे हैं और मैं इसमें जल्दबाजी नहीं करूँगा। मैं देखता हूँ कि जो हो रहा है उसपर मैं एक आरजी वक्तव्य तक नहीं दे सकता। सम्मेलन या बातचीत के बारेमें मुझे इतना ही कहना है।

मुझे सुझाव दिया गया है कि तरुण कार्यकर्त्ताओंका सम्मेलन बुलाये बिना मुझे अपने विचारोंकी कोई घोषणा नहीं करनी चाहिए। यह विचार मुझे ठीक लगा है। मैं गम्भीरतापूर्वक सोच रहा हूँ कि कांग्रेसके कार्यक्रम में दिलचस्पी रखने और मुझे अपनी रायसे लाभान्वित करनेवाले सभी कार्यकर्त्ताओंको 'यंग इंडिया' के जरिए इसी