पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/४२१

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२६७. पत्र : सी॰ ए॰ पेरीराको

पोस्ट अन्धेरी
४ अप्रैल, १९२४

प्रिय डा॰ पेरीरा,

आपका २६ मार्चका पत्र मिला।

मुझे विश्वास है कि आपका हिन्दू धर्मके नेताओंसे मिलना आपके उद्देश्यमें सहायक ही होगा। शिष्टमण्डलके लिए कोई ऋतु-विशेष ज्यादा अच्छी होगी, ऐसा मैं नहीं समझता, लेकिन आराम के लिहाजसे शीत-काल निश्चय ही अच्छा रहेगा।

आपने अपने पत्र में जिस विषयका उल्लेख किया है उसके सम्बन्ध में मुझे कुछ नहीं मालूम। मैं नहीं जानता, मन्दिरपर इस समय किसका अधिकार है और न यही जानता हूँ कि मन्दिरपर कब्जा रखनेवाला व्यक्ति किस आधारपर कब्जेका दावा करता है अथवा बौद्धोंसे कब और किस प्रकार मन्दिरका कब्जा छीन लिया गया था। मैं स्वयं उस मन्दिरमें हो आया हूँ। शायद आप जानते ही हैं कि मन्दिरमें जानेपर कोई प्रतिबन्ध नहीं है, और न कोई प्रवेश शुल्क ही माँगा जाता है।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

डा॰ सी॰ ए॰ पेरीरा,
"तामुण्ड"
बम्बेला पितिया रोड
कोलम्बो

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ८६५५) की फोटो नकलसे।
 

२६८. पत्र : एच॰ आर॰ स्कॉटको

पोस्ट अन्धेरी
४ अप्रैल, १९२४

प्रिय श्री स्कॉट,

आपका पत्र पाकर बहुत हर्ष हुआ।

आपकी शुभकामनाओंके लिए मैं आपका आभारी हूँ। फॉसडिककी लिखी हुई 'मैनहुड ऑफ द मास्टर' नामक पुस्तकका अनुवाद मुझे अवश्य मिल गया है। उसके लिए धन्यवाद। श्री मणिलाल पारेखने आपसे उस पुस्तककी एक प्रति मुझे