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पत्र : वी॰ वी॰ दास्तानेको

उसे भारतके घर-घरमें फिरसे अपना लिया गया तो देशका आर्थिक निस्तार तो होगा ही; साथ ही भारत के करोड़ों किसानोंको अपने बढ़ते हुए दारिद्र्यसे छुटकारा मिल जायेगा।

अमेरिकाके व्यवसायी वर्ग के लोगोंसे मेरा यह कहना है : चरखेके सन्देशके भीतरी अर्थको समझिए; तब कदाचित् संसार-भरकी शान्तिका हल आपके हाथ आ जायेगा। मुझे मालूम है कि इस शान्तिकी इच्छा बहुतेरे अमेरिका-निवासी सच्चे दिलसे करते हैं।

खेद है मैं अपना चित्र न भेजकर आपको निराश कर रहा हूँ; जैसा कि मैंने आपको बताया था, इसका कारण यह है कि मेरे पास अपना कोई फोटो या तसवीर है ही नहीं।

जो पुस्तक आपने मुझे भेजी है उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ और आपके सुझाव के अनुसार मैं उसे अपने पास रख रहा हूँ।

कृपया श्रीमती होगस्त्रासे मेरा नमस्कार कहें। आप भी मेरा नमस्कार स्वीकार करें।

हृदयसे आपका,

एच॰ वाल्टर हीगस्त्रा महोदय,

शेफर्ड्स होटल

काहिरा (मिस्र)
अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६६२) की फोटो-नकलसे।
 

२७३. पत्र : वी॰ वी॰ दास्तानेको

पोस्ट अन्धेरी
५ अप्रैल, १९२४

प्रिय दास्ताने,

मूलशीपेट सम्बन्धी कागज पत्र देख गया हूँ। परन्तु उन सभीको अभी पूरी तरह नहीं पढ़ पाया हूँ। लगता है कि निम्नलिखित दो-तीन कारणोंसे आन्दोलनको[१] बन्द करना ही होगा :

(१) मुझे मालूम हुआ है कि जिन-जिन लोगोंको क्षति पहुँची है उनमें से अधिकांशने मुआविजा स्वीकार कर लिया है। जिन थोड़े-से लोगोंने स्वीकार नहीं किया है, वे वही लोग हैं जिनका कि शायद पता ही नहीं लग रहा है।

(२) बाँध लगभग आधा तैयार हो चुका है और उसका निर्माण कार्य स्थायी रूपसे बन्द नहीं किया जा सकता। लगता है कि इस आन्दोलनके पीछे कोई आदर्श नहीं है।

  1. देखिए खण्ड २०, पृष्ठ ६६-९।