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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बहुत पसन्द करता हूँ, किन्तु उसमें लोगोंको जबरदस्त त्याग करनेका जो हुक्म दिया गया है उसे देश मानेगा या नहीं, इस सम्बन्ध में मुझे सन्देह है। मैं ऐसा कोई काम करना नहीं चाहता जिससे आन्दोलनकी प्रगतिमें बाधा आये। मेरी कामना है कि आपको पूर्ण सफलता मिले। यदि लोगोंने आपकी बात सुनी तो मैं उत्साहपूर्वक आपका समर्थन करूँगा।

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६८९) की फोटो-नकलसे।
 

३०४. पत्र : इब्राहीम रहमतुल्लाको

पोस्ट अन्धेरी
६ अप्रैल, १९२४

प्रिय सर इब्राहीम रहमतुल्ला,

मैं आज आपसे मिलनेकी प्रतीक्षा कर रहा था। आप नहीं आ सके इसका मुझे दुःख है; किन्तु आप अस्वस्थ होनेके कारण नहीं आ सके यह जानकर मुझे और अधिक दुःख हुआ है। मुझे आशा है कि आप जल्दी ही अच्छे हो जायेंगे। मेरा कलका दिन खाली है, क्योंकि मैं रातको देर गये तक मौन रखता हूँ। बुधवार मेरा दूसरा मौन दिवस है। सप्ताहमें मेरे अन्य दिन भरे रहते हैं। क्या में फिलहाल रविवारको छः बजे सायंकालका समय नियत मान लूँ?

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

सर इब्राहीम रहमतुल्ला
बम्बई

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ११४०२) की फोटो-नकलसे।