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पत्र : मुहम्मद अलीको

महत्त्वपूर्ण है। इतना ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि सत्याग्रही पर्याप्त संख्या में हों, ताकि लड़ाई अन्ततक चलाई जा सके।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत के॰ एम॰ पणिक्कर
अकाली सहायक संघ
अमृतसर

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८७०३) से।
 

३२२. पत्र : मुहम्मद अलीको

पोस्ट अन्धेरी
१० अप्रैल, १९२४

मेरे अजीज दोस्त और भाई,

आपके दोनों पत्र मिल गये, एक आपके सेक्रेटरीका लिखा हुआ पत्र जिसके साथ वह पत्र नत्थी है जो आपको मिला है और दूसरा आपका अपना लिखा हुआ।

मैं सहपत्रके सम्बन्धमें अपने ढंगसे कार्रवाई कर रहा हूँ। आप जब यह समझें कि आप बड़े भाई साहबके[१] पाससे बिना कोई जोखिम उठाये हट सकते हैं, तभी आयें।

मैंने आपको अपनी ओरसे आश्वासन भेज दिया है और उसे यहाँ फिर दोहराता हूँ कि इन दोनों प्रश्नोंके सम्बन्धमें, आपसे मिले बिना मैं अपने विचार प्रकाशित नहीं करूँगा। आप अपना काम फुरसतसे करें। आप देखेंगे कि आपने स्वामीजीको जो पत्र लिखा है उसका मैंने 'यंग इंडिया'[२] के स्तम्भोंमें उपयोग किस तरह किया है।

वर्तमान उत्तेजनाका दोष दोनों पक्षोंपर है, मुझे इस कथन के पक्षमें करनेके लिए किसी भी प्रकारका अनुरोध जरूरी नहीं है; और मैं यह आशा कर रहा हूँ कि जब अवसर उपस्थित होगा ईश्वर मुझे सत्य, पूर्ण सत्य और उतना ही सत्य कहने की शक्ति और साहस देगा जितनेका मुझे बोध है।

मैं नहीं जानता कि देवदासने डाक्टर अन्सारीको क्या लिखा है, किन्तु उस बेचारेने मुझे यह बताया है कि उसके पत्र में ऐसा एक भी शब्द नहीं है जिससे आपको अथवा डा॰ अन्सारीको कुछ भी परेशानी हो। लेकिन शायद आप यह चाहते हैं कि

  1. शौकत अली, जो बीमार पड़े थे और जिनकी हालत फिर खराब हो गई थी। गांधीजीको शौकत अलीके लड़के जहीर अलीका ६ अप्रैलको एक पत्र मिला था। इसमें उसने लिखा था कि मुहम्मद अली गांधीजीसे मिलनेके लिए तबतक बम्बई रवाना नहीं हो सकते जबतक उनके भाईंकी हालत में सुधार नहीं हो जाता।
  2. देखिए "असत्य कथनका आन्दोलन" तथा "मौलाना मुहम्मद अली और उनके आलोचक", १०-४-१९२४।