पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/४७६

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३२०. पत्र : इस्माइल अहमदको

पोस्ट अन्धेरी
१० अप्रैल, १९२४

प्रिय मित्र,

मुझे आपका पत्र मिला। इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। आशा करता हूँ कि मैं 'यंग इंडिया' के स्तम्भों में इसका उपयोग कर सकूँगा।

आशा तो यही है कि ईश्वर मुझे इसपर चलनेके लिए प्रकाश और बल प्रदान करेगा। यदि आप बारडोली सम्बन्धी निर्णयको गम्भीर भूल मानते हों तो मेरा खयाल है कि मैं सुधर ही नहीं सकता। यदि मुझे सत्यमें अपनी निष्ठा ज्योंकी-त्यों बनाये रखनी है तो बहुत सम्भव है मुझसे अभी ऐसी अनेक गम्भीर भूलें हों।

हृदयसे आपका,

श्री इस्माइल अहमद
खोलवाड
सूरत

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८७०१) से।
 

३२१. पत्र : के॰ एम॰ पणिक्करको

पोस्ट अन्धेरी
१० अप्रैल, १९२४

प्रिय पणिक्कर,

वहाँके सब समाचार मुझे आपके द्वारा नियमित रूपसे मिलते रहते हैं। किन्तु मेरी नीति क्रमशः आगे बढ़ने की है। आपने जिस तारमें यह लिखा है कि जत्थेने शान्ति पूर्वक समर्पण कर दिया, वह मुझे मिल गया है। मैं जानता हूँ कि विजय प्राप्त करनेका मार्ग यही है, दूसरा नहीं।

आप वाइकोम मन्दिरके सम्बन्धमें जो कुछ कहते हैं, उसे मैं समझता हूँ। आपने देखा होगा मैंने अपने पत्रमें[१] कुछ भी निश्चयात्मक रूपसे नहीं कहा है, किन्तु तबसे घटनाएँ बड़ी तेजीसे घटी हैं और उतनी ही तेजीसे मैं आगे बढ़ा हूँ। मैं आपकी इस बात से सहमत हूँ कि त्रावणकोरमें जो आन्दोलन आरम्भ किया गया है, वह बहुत

  1. जान पड़ता है कि यहाँ "पत्र : के॰ पी॰ केशव मेननको", १-४-१९२४ का उल्लेख किया गया है, जो ३-४-१९२४ के हिन्दू में प्रकाशित हुआ था।