पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/४८९

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३३१. पत्र : च॰ राजगोपालाचारीको

पोस्ट अन्धेरी
१२ अप्रैल, १९२४

प्रिय राजगोपालाचारी,

केरल प्रान्तीय सम्मेलन के मन्त्रियोंके नाम मैंने जो पत्र[१] भेजा है, उसकी नकल संलग्न कर रहा हूँ। कौंसिल प्रवेश के सम्बन्ध में मैंने जो मसविदा[२] तैयार किया है, उसकी प्रतिलिपि कल आपके पास भेजी है। मैंने उसे दोबारा नहीं देखा है और उसमें चर्चित विषयोंकी दृष्टिसे भी यह उसका अन्तिम रूप नहीं है। उसे तैयार करनेका उद्देश्य यही था कि मेरे स्वराज्यवादी साथी यह समझ जायें कि आज मेरी स्थिति क्या है। कार्य समितिको बैठकमें शामिल होने की कोशिश जरूर करियेगा। और यदि जरा भी सम्भव हो तो कुछ पहले ही आ जाइए।

हृदयसे आपका,

संलग्न :
श्रीयुत सी॰ राजगोपालाचारी
एक्सटेंशन
सेलम

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८७२१) की फोटो-नकलसे।

३३२. पत्र : कुमारी एलिजाबेथ शार्पको

पोस्ट अन्धेरी
१२ अप्रैल, १९२४

प्रिय बहन,

मुझे आपने जो लम्बा पत्र लिखनेका कष्ट किया है उसे मैं आपकी कृपा मानता हूँ। क्या ही अच्छा होता कि यह समस्या जितनी सरल आप बताती हैं उतनी ही सरल होती। मेरे लिए तो यह एक बहुत ही ज्वलन्त समस्या है। यदि अपने सहमानवोंके प्रति मेरा कोई कर्त्तव्य है, तो जो लोग हाड़ और चामकी ठठरी मात्र रह गये हैं उन्हें देखकर उनके प्रति अपने कर्त्तव्यकी याद आना अनिवार्य है। दया, करुणा

  1. यह उपलब्ध नहीं है।
  2. देखिए "कौंसिल-प्रवेश से सम्बन्धित वक्तव्यका पहला मसविदा", ११-४-१९२४।