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३५३. पत्र : कर्नल एफ॰ मेलको

पोस्ट अन्धेरी
१८ अप्रैल, १९२४

प्रिय कर्नल मेल,

साबरमती सेन्ट्रल जेलमें एक कैदी दो बरसकी सख्त कैद भोग रहा है। उसे अन्य किसी उपयुक्त शब्दके अभाव में राजनैतिक कैदी ही कहा जा सकता है। उस कैदीका नाम श्री कल्याणजी विट्ठलभाई मेहता है। वह मेरा सहयोगी है; और मैं उससे भली-भाँति परिचित हूँ। मुझे मालूम हुआ है कि जिस दिन वह व्यक्ति जेलमें प्रविष्ट हुआ था, उस दिन उसका वजन १०२ पौंड था, जो अब ९२ पौंड है। मुझे यह भी ज्ञात हुआ है कि किसी समय उसकी खुराकमें दूध भी शामिल था, लेकिन अब बन्द कर दिया गया है। जिस व्यक्तिसे मुझे यह बात मालूम हुई है, उस व्यक्तिको भी इसका कारण ज्ञात नहीं है। उस व्यक्तिने मुझे यह भी बताया है कि श्री मेहताको लिखने की सामग्रीसे भी वंचित कर दिया गया है, और यद्यपि वे दिन-भरमें बारह गज पट्टी ही बुन सकते हैं, तथापि जेलके अधिकारीगण कहते हैं कि नित्य २० गज पट्टी बुननी ही होगी। यह समाचार आपकी जानकारीमें लाये बिना मैं इसे प्रकाशित नहीं करना चाहता। पहले मेरे मनमें यह खयाल आया कि सीधे अधीक्षकको पत्र लिखूं, परन्तु चूँकि मैं यह जानता हूँ कि उन्हें मेरे पत्रका उत्तर देनेके पूर्व आपसे सलाह लेनी ही होगी, इसलिए मैं आपको लिख रहा हूँ। यदि आप मुझे यह बताने की कृपा करें कि यह खबर सच है या नहीं, और यदि सच नहीं है तो वास्तविक तथ्य क्या है, तो मैं आपका आभारी होऊँगा।[१]

आपका सच्चा,

कर्नल एफ॰ मेल, सी॰ आई॰ ई॰, आदि
इन्सपेक्टर जनरल ऑफ प्रिजन्स
पूना

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८७४२) की फोटो-नकलसे।
  1. कर्नल मेलने इसका उत्तर २१ अप्रैल और फिर १ मईको दिया था। इन पत्रोंमें उन्होंने कल्याणजीके स्वास्थ्य और भोजनसे सम्बन्धित ब्योरा लिख भेजा था। उत्तरमें उन्होंने यह भी लिखा था कि यह गलत है कि कल्याणजी मेहताको लिखने-पढ़नेके सामानसे वेंचित किया गया है; और यह भी गलत है कि उनसे शारीरिक मेहनत कराई जाती है।