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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पाठ जितनी अच्छी तरह पढ़ाया जा सका है उतनी अच्छी तरह अन्य किसी ढंगसे सम्भव न होता। इसलिए जब-जब अवसर आयेगा तब-तब मेरे लिए बारडोलीकी पुनरावृत्ति करना सम्भव है। ऐसा करनेमें यदि सारा देश भी एक तरफ हो जाये और मेरे अकेले पड़ जानेकी नौबत आ जाये तो भी मैं उसे करूँगा। यदि मैं सत्य बात कहने में संकोच करूँ और उसका कारण लोकप्रियता खो देनेकी आशंका हो तो मैं देशका नालायक सेवक ठहरूँगा। जिस एक चीजके लिए मैं जीवित हूँ, अगर वही जाती रही तो मेरा आन्दोलन किस कामका?

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १७-४-१९२४
 

३५२. सन्देश : उपनगरीय जिला सम्मेलनको[१]

बम्बई
[१८ अप्रैल, १९२४]

महात्मा गांधीने इस आशयका सन्देश भेजा है कि स्वास्थ्य ठीक न होनेके कारण मैं सम्मेलन में भाग न ले सकूँगा। लेकिन मेरे प्रति आप सबका जो स्नेह है में उसे अच्छी तरह समझता हूँ। मुझे विश्वास है कि ईश्वर आपके सम्मेलनको सफलता प्रदान करेगा। परन्तु उसके पश्चात् क्या होगा? सम्मेलनके सभी प्रस्तावोंमें सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव वह है जो खादीसे सम्बन्धित है। इसका कारण यह है कि उसमें स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े, शिक्षित-अशिक्षित, सहयोगी-असहयोगी, सभी समान रूपसे अपनी इच्छानुसार भाग ले सकते हैं। आपके पास धन भी है और विवेक भी। संख्याके हिसाब से आप जरूर कम हैं। क्या आपके लिए सभीको खादी-प्रेमी बना सकना सम्भव नहीं? यदि आप लोग अपने छोटे-से क्षेत्रमें, जहाँ सभी प्रकारसे परिस्थिति आपके अनुकूल है इतना भी नहीं कर सकते, तो यह शंका उत्पन्न होगी कि आप लोग इससे भी बड़े कार्य करनेके योग्य हैं या नहीं। मुझे यकीन है कि आप सब लोग मिलकर इस कामको पूरा करनेका संकल्प करेंगे।
[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका, २३-४-१९२४
  1. यह सम्मेलन सान्ता क्रूजमें शुक्रवारको तीसरे पहर हुआ था। इसकी अध्यक्षता दुआसाके दरबार गोपालदासने की थी।