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३५६. टिप्पणियाँ
रेशम में अहिंसा

एक भाई पूछते हैं, रेशमी कपड़ेका उत्पादन करनेमें कितने ही रेशमके कीड़ोंका नाश होता है। क्या अहिंसावादी भाई-बहन उसका इस्तेमाल कर सकते हैं? यदि वे नहीं कर सकते तो गुजरात खादी प्रचारक मण्डल तो रेशमी कपड़ेका प्रचार कर ही नहीं सकता!

यहाँ अहिंसावादीका अर्थ जानने की जरूरत है। यदि अहिंसावादीकी अहिंसा कांग्रेसके कार्य-क्षेत्र तक ही सीमित है तो उसके रेशमका इस्तेमाल करनेमें कोई दोष नहीं है, क्योंकि उसकी अहिंसाकी प्रतिज्ञा केवल असहयोगतक ही सीमित है। लेकिन जो पूर्णतः अहिंसावादी है वह तो हिंसा करनेसे जितना बचे उतना कम है। जहाँ दृश्य-जगत् हिंसासे ही भरा हुआ है और पग-पगपर हिंसा ही दिखाई देती है वहाँ शुद्ध अहिंसावादीका जीवन तो संयममय ही होना चाहिए। उसे तो, जितना त्याग उससे सम्भव हो सके, वह सब करना चाहिए और याद रखना चाहिए कि असली त्याग तो उसे अपने काम-क्रोधादिका ही करना है। [कभी-कभी] एक शब्दबाणमें जितनी हिंसा होती है उतनी सम्भवतः रेशमके उपयोग में नहीं होती। ऊपर जो बारीक प्रश्न पूछा गया है, वैसे प्रश्न तो केवल उसी व्यक्तिको पूछने चाहिए जिसने अपनी समस्त इंन्द्रियोंपर संयम रखनेका निश्चय किया हो और जिसे उसमें कुछ अंशोंतक विजय मिली हो। वस्त्रोंका अथवा आहार-सम्बन्धी संयम तभी दीप्त हो सकता है जब वह आन्तरिक संयमका सूचक हो, नहीं तो उसके मिथ्या होनेकी सम्भावना है। मेरे ये विचार यदि सच्चे हों तो गुजरात खादी प्रचारक मण्डलके रेशम बेचने में हिंसा दोष नहीं रह जाता। असहयोगकी दृष्टिसे विचार करनेपर हमें रेशम बेचनेका अवकाश ही नहीं हो सकता, इसलिए कांग्रेसके किसी भी विभागमें अगर रेशम बेचा जाता है तो उसका बचाव कदाचित् यह कहकर किया जा सकता है कि ऐसा खादीके प्रचारके लिए किया जाता है। मैं तो यह मानता ही नहीं कि खादी के प्रचारके लिए रेशम बेचने की जरूरत है। खादीको सुन्दर बनानेके लिए रेशमकी कोर आदि बनाई जाये यह बात समझ में आ सकती है और इसे सहन किया जा सकता है।

स्वदेशी रेशम

लेकिन देशी रेशम तो बहुत कम मात्रामें मिलता है। रेशमके तार अधिकांशतः विदेशसे ही मँगवाये जाते हैं। बंगलौर और अन्य स्थानोंमें, निःसन्देह, रेशमका तार मिल सकता है लेकिन वह इतनी कम मात्रामें होता है कि उसे नगण्य कहा जा सकता है। इसके अतिरिक्त जिस उद्देश्यको ध्यान में रखकर खादीका प्रचार करने की आवश्यकता है, वह रेशम में नहीं है। खादी-प्रचार धर्म-कार्य है, क्योंकि सूतके