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३६३. टिप्पणियाँ
वाइकोम सत्याग्रह

वाइकोममें अस्पृश्यता निवारण के लिए जो संघर्ष चल रहा है उससे सत्याग्रहके अध्ययन के लिए खासी दिलचस्प सामग्री मिल जाती है; और चूँकि उसका संचालन भी बड़ी शान्तिके साथ हो रहा है, इसलिए इस दिशा में काम करनेवाले भावी कार्यकर्त्ताओं के लिए वह उपयोगी सिद्ध हुए बिना नहीं रहेगा। त्रावणकोरके अधिकारी निषेधाज्ञाके सम्बन्ध में अभीतक झुके नहीं हैं; फिर भी वे अपना काम बड़ी शिष्टताके साथ कर रहे हैं। लोग इस बातको जानते हैं कि उन्होंने सत्याग्रहियोंके साथ किये जानेवाले जोरो-जुल्मको रोकने की कोशिश किस तत्परता से की। जेलमें भी ठीक वैसा ही व्यवहार किया जा रहा है जैसा कि बाहर किया जाता था। श्री मेनन त्रिवेन्द्रम जेलसे लिखते हैं :

मैंने जो सोचा था वही हुआ। मैं अब अपने मित्र श्री माधवन के साथ त्रिवेन्द्रम सेन्ट्रल जेलकी चहारदीवारीके अन्दर हूँ। हम राजकीय कैदीकी तरह रखे गये हैं। हमारे लिए एक अलहदा ब्लाक दे दिया गया है। हम अपने ही कपड़े पहनते हैं। एक कैदी हमारे लिए भोजन बनाता है। मैं जैसा भोजन घरपर करता था, वैसा ही यहाँ भी मिलता है। मेरे मित्र श्री माधवन्‌ के बारेमें भी यही समझिए। किताबों और अखबारोंके पानेकी भी अनुमति है। अलबत्ता पत्रोंमें हम वाइकोमके मामलेमें कुछ भी नहीं लिख सकते। मित्रगण रविवारको छोड़कर सुबहके ८ बजेसे शामको ४ बजेतक हर रोज मिल सकते हैं।
मुझे यकीन है कि आप यह जानकर खुश होंगे कि सुपरिंटेंडेंट तथा दूसरे जेल अधिकारी हमें आराम पहुँचानेकी हर तरहसे कोशिश कर रहे हैं। वाइकोमके पुलिस अधिकारी हमारे साथ जैसा अच्छा बरताव करते थे वैसा ही ये भी करते हैं।

सत्याग्रही कैदियोंके साथ इस तरह सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करनेके लिए त्रावणकोरके जेल अधिकारी बधाईके पात्र हैं। हम आशा करते हैं कि अन्ततक दोनों ओरसे मौजूदा आत्म-संयम और शिष्ट व्यवहार कायम रहेगा।

प्रार्थना-पत्र किसलिए?

वाइकोम सत्याग्रहियोंको मैंने यह सलाह दी थी कि जबतक सत्याग्रह जारी है तबतक संचालकों को चाहिए कि वे प्रार्थना-पत्रों, सार्वजनिक सभाओं, शिष्टमण्डलों आदिके द्वारा राज्यकी सहायता और लोकमतको अपनी ओर करने के लिए कुछ न उठा रखें। इसपर बड़ा आश्चर्य प्रकट किया गया है। आलोचकोंकी दलील यह है कि मैंने