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वाइकोम सत्याग्रह

रखना है बल्कि यह अनिवार्य भी है। किन्तु कुछ पत्रलेखकोंका कहना है कि वाइकोममें विधिसंगत सत्याग्रहकी परिस्थितियाँ विद्यमान नहीं हैं। वे जानना चाहते हैं कि,

  1. अनुपगम्यता अन्त्यजोंको किसी मार्ग विशेषपर न चलने देनेकी प्रथा केवल वाइकोममें प्रचलित है अथवा पूरे केरलमें?
  2. यदि वह पूरे केरलमें प्रचलित है तो केरलके ब्रिटिश अधीनस्थ भागको छोड़-कर वाइकोमको चुननेका विशेष कारण क्या है?
  3. क्या सत्याग्रहियोंने महाराजा, स्थानीय विधान सभा आदिके समक्ष कोई याचनापत्र भेजा था?
  4. क्या उन्होंने रूढ़िवादी हिन्दुओंसे परामर्श लिया था?
  5. कहीं रास्तेके उपयोगका प्रश्न अँगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ने की कोशिश तो नहीं है? क्या वह जाति प्रथाको बिलकुल मिटा देनेकी ओर उठाया गया कदम तो नहीं है?
  6. क्या वह रास्ता कोई आम रास्ता है?

पहले दो प्रश्न अवान्तर हैं। अनुपगम्यता और अस्पृश्यताको—वे कहीं भी क्यों न हों—हमें मिटाना ही है। सत्याग्रह कहाँ और कब करना उचित है, यह समझ लेनेके बाद कार्यकर्त्ताको चाहिए कि वह सत्याग्रह अथवा अन्य किसी वैध साधनके द्वारा काम शुरू कर दे।

मुझे जो खबर मिली है उससे मालूम हुआ है कि याचिका आदि देनेकी पद्धतिका प्रयोग एक बार नहीं बल्कि अनेक बार किया जा चुका है।

उन्होंने रूढ़िवादी लोगोंसे परार्मश किया था और उनका खयाल है कि उन्हें उनका समर्थन प्राप्त है।

मुझे विश्वास दिलाया गया है कि रास्तेका उपयोग ही सत्याग्रहियोंका अन्तिम ध्येय है। किन्तु इस बातसे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि आज समूचे भारतमें इस तरहका जो आन्दोलन चल रहा है उसका उद्देश्य उन सभी सार्वजनिक रास्तों, सार्वजनिक शालाओं, सार्वजनिक कुँओं, तथा सार्वजनिक मन्दिरोंको, जो अब्राह्मणोंके लिए गम्य हैं, दलित वर्गोंके लिए गम्य बना देना है।

वास्तव में यह आन्दोलन जाति प्रथाको उसके अत्यन्त नाशकारी परिणामसे मुक्त करके शुद्ध बना देने के लिए किया जा रहा है। मैं खुद वर्णाश्रम व्यवस्था में विश्वास करता हूँ; यद्यपि यह ठीक है कि उसका मेरा अपना अर्थ है। कुछ भी हो, अस्पृश्यता-विरोधी आन्दोलनका ध्येय अन्तर्जातीय सहभोज अथवा अन्तर्जातीय विवाह नहीं है। जो लोग स्पृश्यताके प्रश्नको इन दोनों बातोंसे जोड़ देते हैं, वे दलित वर्गोंके हितों तथा अन्तर्जातीय सहभोज एवं अन्तर्जातीय विवाह के प्रश्नको भी हानि पहुँचा रहे हैं।

मेरे पास ऐसे भी पत्र आये हैं, जिनमें रास्ते के निजी कहे जानेका खण्डन किया गया है। मुझे सूचना देनेवाले तो यहाँतक कहते हैं कि वह रास्ता कुछ वर्ष पहले अब्राह्मणों के समान अन्त्यजोंके लिए भी खुला हुआ था।