पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/६१३

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३९८. पत्र : मु॰ रा॰ जयकरको

अन्धेरी
मंगलवार, ६ मई, १९२४

प्रिय श्री जयकर,

दलित वर्ग मिशनवाले श्री भोंसलेने मुझे लिखा है कि वे लोग जो मन्दिर और छात्रावास बनवाने जा रहे हैं उसके सम्बन्धमें सारी जानकारी मुझे आप देंगे। अगर आपको इस बात में दिलचस्पी हो तो आपका मार्गदर्शन पाकर मैं अनुगृहीत होऊँगा। वे चाहते हैं कि मैं इस योजना के लिए अंशतः अथवा पूर्णतः धनकी व्यवस्था करूँ। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि क्या करूँ। आशा है, श्रीमती जयकरका स्वास्थ्य सुधर रहा होगा।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजी से]
द स्टोरी ऑफ माई लाइफ
 

३९९. पत्र : कमर अहमदको

पोस्ट अन्धेरी
६ मई, १९२४

प्रिय भाई,

आपका पत्र देखा। उसपर कोई तारीख नहीं है। लेकिन मैं जानता हूँ, यह कुछ समय पहले ही यहाँ आ गया था। खेद है कि अबतक में इसे पढ़ नहीं सका था।

वकीलों और स्कूलोंके शिक्षकोंकी ओरसे में उदासीन नहीं हूँ। उनके साथ मेरी पूरी सहानुभूति है और यही कारण है कि में अपने-आपको उन्हें कोई सलाह देने की स्थिति में नहीं पाता। अगर कोई व्यक्ति किसी बात की पूरी प्रतीति करके उसके सम्बन्धमें अपना दृष्टिकोण बदल दे तो उसके लिए इसमें लज्जाकी बात नहीं मानी जा सकती। जिस वकील या शिक्षकने अपना पेशा मेरे कहने से छोड़ा हो, और बादमें यह देखकर कि मैं भरोसे लायक नहीं रह गया हूँ यदि फिर अपने पेशे को अपना लेता है तो वह और भी कम दोषी ठहरेगा। अलबत्ता, मुझे यह जानकर बहुत दुःख होगा, फिर भी वकीलों