पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/६३७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५९९
परिशिष्ट

करता हूँ कि वहाँ जानेसे पहले असम कांग्रेस कमेटीकी मारफत जाँच-पड़ताल करा ली जाये; और मैं तदनुसार कमेटीको एक पत्र लिख रहा हूँ, जिसकी नकल इस पत्रके साथ संलग्न है। कुछ दिन पहले मुझे बिसवाँ कांग्रेस कमेटीका एक पत्र मिला था। मैं इसके साथ वह मूल पत्र भी भेज रहा हूँ।

हृदयसे आपका,
रामानन्द संन्यासी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६४३) की फोटो-नकलसे।
 

ख) रामानन्द संन्यासीका असम कांग्रेस कमेटीको पत्र

बलदेव आश्रम
खुरजा (संयुक्त प्रान्त)
१ अप्रैल, १९२४

मन्त्री
असम प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी,
गोहाटी
प्रिय महोदय,

पिछले नवम्बर में, मुझे पंजाबके गुड़गाँव जिलेसे सूचना मिली थी कि कोई आंग्ल-भारतीय सज्जन सेनाके सेवानिवृत्त लोगोंको चायबागनोंके लिए मजदूर भरती करने के लिए नौकर रख रहे हैं और उनकी शर्तें ये हैं : (१) बागानतक का मुफ्त रेलका टिकट। (२) पति और पत्नी दोनोंकी ३० रु॰ मासिक मजदूरी। (३) मकान और ईंधन मुफ्त। यदि नया मजदूर वहाँ जाने के बाद रहना न चाहे तो वे वापसी रेल-किराया और सफर-खर्च भी देनेके लिए तैयार हैं। इस सूचनाके तुरन्त बाद ही इसी तरह की सूचनाएँ मुझे पंजाब के करनाल, अम्बाला, रोहतक और हिस्सार जिलोंसे तथा फैजाबाद, बलिया, गोरखपुर और दो-तीन दूसरे जिलोंके अलावा संयुक्त प्रान्तके लगभग सभी जिलोंसे मिलीं हैं। उन्होंने इन जिलोंको शायद इसलिए छोड़ दिया था कि इनमें उनके यहाँ रहे हुए पुराने मजदूर हैं। चूँकि चायबागानोंकी मौजूदा हालतोंसे मैं पूरी तरह वाकिफ था और १९२१ की घटना मेरी आँखोंके सामने साफ मौजूद थी, इसलिए मैंने पिछली जनवरी में बंगाल, पंजाब और संयुक्त प्रान्त के समाचारपत्रोंके नाम एक वक्तव्य जारी किया था। आपने यह वक्तव्य अवश्य ही देखा होगा। मैंने बंगाल, संयुक्त प्रान्त और पंजाबकी कमेटियोंको परिस्थितिके अनुसार कार्रवाई करने के लिए भी लिखा था। उस समय मैंने आपको पत्र नहीं लिखा; इसलिए नहीं कि लिखना जरूरी नहीं था, वरन् इसलिए कि असम मेरे ध्यानसे उतर ही गया था। अब मैंने महात्मा गांधीको सब बातें लिखीं और उनकी सलाह माँगी कि चायबागानों में जाकर वहाँकी हालत देखना उचित होगा या नहीं। उन्होंने मुझे