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ढालूमलको उसी धाराके अधीन गिरफ्तार कर लिया गया है। थरपारकर जिलेके नगरसारकरको तरफ, जहाँ रसाई[१], बेगार और लापकी[२] क्रूर प्रथाएँ प्रचलित थीं, उनके कार्यके फलस्वरूप बन्द हो गईं। यह बात स्थानीय अधिकारियोंके लिए असह्य हो गई और सात कार्यकर्ताओंके नाम धारा १४४ के अधीन यह नोटिस जारी कर दिया गया है कि वे मुगलबीनके इर्दगिर्दके पाँच मीलके क्षेत्रमें किसी सभामें भाषण नहीं दे सकते। वहाँ एक मेला लगता है और यह कार्रवाई मेला लगनेसे पहले की गई है, जिसका उद्देश्य प्रचारको रोकना है। शिकारपुर जिला कांग्रेस कमेटोके संयुक्त मन्त्रियों, श्री सोभराज और वाधूमल तथा सात अन्य व्यक्तियोंको रास्ता रोकनेके अपराधर्म सौ-सौ रुपया जुर्माना या तीन-तीन महीनेकी साधारण कैदको सजा सुनाई गई है। इन नौ कार्यकर्त्ताओंने नगरकीर्तन आयोजित किया था। उनका इरादा कोई जुलूस निकालनेका नहीं था; और इसलिए उन्हें पुलिसके हस्तक्षेपकी आशंका नहीं थी। लेकिन शिकारपुरकी पुलिस वहाँ आ धमकी। इनमें से एकने जुर्माना अदा कर दिया, लेकिन औरोंने जेल जाना ही पसन्द किया। कराचीके सिटी मस्जिट्रेटको यह अतिरिक्त अधिकार दिया गया है कि वह राजद्रोह सम्बन्धी धारा १०८के अनुसार नेकचलनीके लिए जमानत मांग सकता है। इसका अर्थ यह है कि अधिकारी कराची में युवराजके आगमनसे पहले कार्यकर्त्ताओंको रास्तेसे हटाकर मैदान साफ कर लेना चाहते हैं।

रघुनाथपुरसे बक्सर सब-डिवीजनल कांग्रेस कमेटीके प्रधानने हकीमजीके[३] नाम एक तार भेजा है, जो इस प्रकार है :

महात्माजीको यह सूचना दे दें कि ब्रह्मपुर मेलेमें पिछले दो दिनोंसे जो कांग्रेस कैम्प लगे थे, आराके कलक्टर, सुपरिटेंडेंट, हथियारबन्द गोरखों और ब्रह्मपुरके रेजीडेंट व डिप्टी कलक्टर रामेश्वरसिंह द्वारा कल रात जबरदस्ती गिरा दिये गये हैं। स्वयंसेवकोंको क्रूरतासे पीटा गया और उन्हें हाथी दौड़ाकर भगा दिया गया। तम्बू, झण्डे तथा अन्य सामान छीन लिया गया। शराब और गाँजेके ठेकोंपर धरना देनेवाले स्वयंसेवकोंको बड़ी बेरहमीके साथ लाठियोंसे पीटा गया। यहाँ पूर्ण शान्ति है।

तीसरा तार बेलसंडसे मिला है। थाना कांग्रेस कमेटीके मन्त्री लिखते हैं :

स्थानीय पुलिस सब-इंस्पेक्टर श्री नाथसहाय राय आजकल लोगोंको हिंसाके लिए भड़कानेपर तुले हुए है। २३ फरवरी, १९२२ को वे पचरा और अठकोनी गाँवोंमें गये और वहाँ उनके हुक्मसे पुलिसके सिपाही बाबू मुसाफिरसिंह, भुवनेश्वरसिंह और रामवृक्ष महतो नामक तीन स्वयंसेवकोंके जनानखानोंमें जबरदस्ती
  1. एक प्रकारकी रिश्वत।
  2. एक प्रकारकी रिश्वत।
  3. कीम अजमलखाँ (१८६५-१९२७); भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके अध्यक्ष, १९२१।