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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

—लँगोटी लगाकर घूिमने और खुलेमें सोनेकी स्वतन्त्रता होगी; किन्तु मैं यह आशा भी करता हूँ कि तब आजकी तरह करोड़ों लोग पर्याप्त वस्त्र खरीदनेकी असमर्थताके कारण, एक गन्दा चिथड़ा पहनकर घूमनेपर बाध्य नहीं होंगे। आज तो तन ढकने लिए उनके पास यह लँगोटी ही है और अपने थके-हारे, भूखे-प्यासे शरीरको विश्राम देनेके लिए उनके नसीब में खुला मैदान ही है। इसलिए 'हिन्द स्वराज्य'[१] में व्यक्त किये गये कुछ विचारोंको उनके उचित सन्दर्भसे अलग करके विकृत रूपमें लोगों के सामने इस तरह रखना, मानो मैं सभीको उन विचारोंके अनुसार चलनेका उपदेश दे रहा हूँ, ठीक नहीं है।

एक और पुस्तिका में गुण्डागर्दीकी इक्की-दुक्की कार्रवाइयों को, जो निःसन्देह असहयोगियों या उनसे सहानुभूति रखनेवालों द्वारा ही की गई हैं, इस तरह पेश किया गया है मानो वह असहयोगियोंका आम पेशा हो। उसके बाद उनसे यह विचित्र निचोड़ निकाला गया है :

असहयोगका मतलब है—संहार, रक्त-रंजित गृह कलह और अव्यवस्था के पुराने दुर्दिनोंकी ओर लौटना।

असहयोगका मतलब निश्चय ही आंशिक रूपसे, जहाँतक आवश्यक हो, संहार है। लेकिन वह बम्बईकी तरहका संहार नहीं है, जैसा कि इस पुस्तिकामें कहा गया है। उसका मतलब दरअसल, दोषपूर्ण व्यवस्थाका शान्तिपूर्ण उपायोंसे संहार है। और मैं यह जानने के लिए बहुत ही उत्सुक हूँ कि खूनी गृहकलह और अव्यवस्थाके वे पुराने दुर्दिन कौनसे थे। क्या इतिहास में इस तरह के विश्वासके लिए कोई प्रमाण मिलता है? मैंने तो लोगों को गुजरे हुए अच्छे दिनोंकी प्रशंसाके ही गीत गाते सुना है। देशी भाषाकी पाठ्य पुस्तकों में मैंने कुछ ऐसे पद्य जरूर देखे हैं, जिनमें ब्रिटिश शासनकी प्रशंसा और उससे पहले के शासनकी बुराई की गई है। परन्तु मुझे नहीं मालूम कि कभी कोई ऐसा भी समय था जब भारतमें एक सिरेसे दूसरे सिरेतक "गृहकलह और अव्यवस्था" का साम्राज्य रहा हो। रक्तरंजित

बिहार में खद्दरकी प्रगति

'बिहार हेरॉल्ड' में निम्नलिखित समाचार छपा है :

बिहार और उड़ीसा सरकारकी भूमिकर प्रशासन रिपोर्ट में यह कहा गया है कि पटना, भागलपुर और तिरहुतमें रैयतमें अपने अधिकारोंकी समझ बढ़नेसे अबवबकी[२] उगाही बहुत कम हो गई है। भागलपुरमें असहयोग आन्दोलन के कारण इस तरह की जबरन वसूलियोंका विरोध कड़ा हो गया ह ।
चरखा और हथकरघा उद्योग के पुनरुत्थान में असहयोगका योगदान उल्लेखनीय है। सरकारी आँकड़ोंके अनुसार, बिहार में पहने जानेवाले कुल कपड़ेका भाग हथकरघेपर बुना जा रहा है।चरखेसे बुनाईके धन्धेको और
  1. देखिए खण्ड १०, पृष्ठ ६-६९।
  2. सिंचाई कर।