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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय



प्रकृतिवश मैं इस तरह की सरकारका अंग नहीं रह सकता। इसलिए मैं अपनी सदस्यता से इस्तीफा देता हूँ।

उन्होंने मुझे यह सूचना दी है कि इस तरह जो जगह खाली हुई है उसके लिए पाँच उम्मीदवार हैं। उनकी उम्मीदवारीसे मुझे कुछ लेना-देना नहीं है। श्रीयुत सीताराम और वे, दोनों ही पक्ष ठीक हैं। श्रीयुत सीतारामको इन सुधारोंकी असलियत जानने के लिए निजी अनुभवकी जरूरत थी। आशा है, अब जो व्यक्ति निर्वाचित होगा वह भी अपने अनुभवसे सीखेगा, लेकिन यह सब हो चुकने के बाद भी कुछ लोग ऐसे बच रहेंगे जो ईमानदारीसे ऐसा मानेंगे कि, चाहे इन्हें अच्छी कहिए या बुरी, ब्रिटिश शासक हमें जो विधान परिषद् दे रहे हैं केवल उनके द्वारा ही हम कोई प्रगति कर सकते हैं। असहयोगियोंके लिए विधान परिषदें और विधान सभाकी कार्यवाहियाँ इस बातका साक्षात् प्रमाण होनी चाहिए कि उनसे उनका अलग रहना बुद्धिमत्तापूर्ण था।

शान्त रहनेकी अपील

सर रॉबर्ट वाटसन स्मिथ के भाषण के सिलसिले में मेरे पास क्रोध-भरे पत्रोंका ताँता लगा हुआ है। एक पत्र में मुझे सलाह दी गई है कि मैं उस दुःखद भाषणका पूरापूरा जवाब दूँ। एक और सज्जनने मुझे अखबारकी एक कतरन और उसके साथ पत्र भेजा है, जिसमें वे पूछते हैं :

क्या यह भारतके प्रति एक औसत अंग्रेजकी मनोवृत्तिका परिचायक नहीं है? और यदि ऐसा है, तो क्या हमें बेधड़क उनसे यह नहीं कह देना चाहिए कि वे भारतसे निकल जायें और देशको केवल इस धरती की सन्तानोंके हाथमें छोड़ दें? क्या हमारा यह घोषणा करना बहुत गलत होगा कि हमारा तात्कालिक उद्देश्य अंग्रेजोंको भारतसे निकाल बाहर करना है?

पत्रलेखकका कहना है कि वे आन्दोलनके एक विनीत अनुगामी हैं। मैं उन्हें और उनकी तरह सोचनेवालों को सादर यह बताना चाहता हूँ कि उपर्युक्त पत्रांश जिस मनोभावका सूचक है, वह एक असहयोगी के अनुरूप नहीं है। असहयोग हृदयपरिवर्तन की एक प्रक्रिया है और हमें अपने आदर्श आचरणसे सर रॉबर्ट वाटसन स्मिथजैसे अंग्रेजोंतक का हृदय परिवर्तन करना है। जहाँ मैं यह माननेको तैयार हूँ कि बंगाल चेम्बर ऑफ कॉमर्सके अध्यक्ष अधिकांश अंग्रेजोंकी मनोवृत्तिका प्रतिनिधित्व करते हैं, वहाँ एक अच्छी खासी संख्यामें ऐसे भी लोग हैं जो निश्चित ही स्मिथकी-सी मनोवृत्ति नहीं रखते। और जबतक हमारे बीच एन्ड्रयूज, स्टोक्स,[१] पियर्सन[२]—जैसे व्यक्ति हैं, तबतक हमारी यह इच्छा कि प्रत्येक अंग्रेज भारतसे निकल जाये, भद्रजनोचित नहीं होगी। यों भी यह जरूरी नहीं कि हम, जैसा पत्रलेखकने सुझाया

  1. सैम्युल स्टोक्स, समाज-सेवक और सी॰ एफ॰ एन्ड्रयूजके साथी
  2. विलियम विन्स्टनली पिपर्सन, एक मिशनरी।