पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/१०२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
७२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


कि विधान सभा और विधान परिषदोंमें बहुमत प्राप्त करके, बजटकी अस्वीकृतिकी वर्तमान निरर्थक नीतिके स्थानपर, एक रचनात्मक कार्यक्रमपर अमल किया जाये। तारके अनुसार उस कार्यक्रमके अन्तर्गत जहाँतक एक ओर आवश्यक सेवाओंको चालू रखनेमें सरकारसे सहयोग करना है, वहाँ दूसरी ओर अपने सुस्थिर और ठोस बहुमत के बलपर आग्रहपूर्वक यह माँग भी की जानी है कि सुधारोंके क्षेत्रको तेजीके साथ व्यापक बनाया जाये, उनकी रूप-रेखामें आवश्यक परिवर्तन किये जायें और सेना सहित अन्य विभागोंके भारतीयकरणका काम और भी शीघ्रतासे पूरा किया जाये। भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनको आमतौरपर और स्वराज्यवादियोंको खासतौर पर बदनाम करनेको इच्छासे जानबूझकर की गई इस गलतबयानीको देखते हुए और आन्दोलनके वास्तविक उद्देश्योंके बारेमें इंग्लैंडमें मौजूद घोर अज्ञानको देखते हुए, क्या आप यह जरूरी नहीं समझते कि इंग्लैंड में भारतके बारेमें सत्यका प्रचार करनेके लिए एक भारतीय ब्यूरो स्थापित किया जाये? क्या नागपुर अधिवेशनके बादसे अब तक आपके विचारोंमें कोई परिवर्तन हुआ है? यदि यह समझा जाये कि इस प्रकार का ब्यूरो चलाने में इतना अधिक खर्च पड़ेगा कि कांग्रेस उसे बर्दाश्त नहीं कर सकेगी तो क्या कांग्रेस किसी ऐसे व्यक्तिको अपने कोषमें से रुपये-पैसे की थोड़ी-बहुत सहायता नहीं दे सकती, जो यह काम करनेको राजी हो?

तार मैंने देखा तो था, पर मैंने सोचा कि कोई भी व्यक्ति उसे किसी तरहकी अहमियत नहीं देगा और न यही माननेको तैयार होगा कि तारमें सहयोगके सम्बन्धमें जो विचार मुझपर आरोपित किये गये हैं, वे विचार सचमुच मेरे हो सकते हैं। मैं तो अकसर कहता रहा हूँ कि व्यक्तिगत हैसियतसे तो मैं सहयोग करना चाहता हूँ और इसके लिए उत्सुक भी हूँ, परन्तु जबतक सरकारमें हृदय-परिवर्तनका कोई भी लक्षण दिखाई नहीं पड़ता तबतक मैं असहयोगकी शक्तियोंको मजबूत करने के लिए अधिक इच्छुक और अधिक उत्सुक हूँ। हृदय-परिवर्तनका मुझे अभीतक तो कोई भी लक्षण दिखाई नहीं पड़ा है। ब्रिटिश समाचारपत्रोंमें छपनेवाली गलतबयानियोंके खण्डनके लिए लन्दनमें प्रचार ब्यूरो चलाने या उसके लिए रुपये-पैसेकी मदद देने के बारेमें मेरे विचार पहले जैसे ही है। मेरी अब भी यही राय है कि यदि हम अपने आपमें ठोस और दृढ़ हों तो कोई भी गलतबयानी या गलत ढंगसे पेश की गई कोई भी चीज हमें कभी कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकती। दूसरी तरफसे देखा जाये तो ब्रिटिश समाचारपत्रोंमें या विदेशी समाचारपत्रोंमें हमारी माँगोंका समर्थन करने या हमारी पीठ थपथपानेके लिए जो कुछ भी लिखा जायेगा, वह हमारे कमजोर, असंगठित और सरकार-से संघर्षके लिए अप्रस्तुत रहने की अवस्थामें हमारे किसी कामका साबित नहीं होगा। इसलिए हम और मदोंसे जितना धन बचा सकते हैं; उसकी पाई-पाई खद्दरके प्रचार, राष्ट्रीय पाठशालाओं और अन्य रचनात्मक कार्योंपर ही खर्च करनेकी मैं सलाह देता हूँ।

प्र०: आपने देखा होगा कि देशमें, सिर्फ राजनीतिक शिकायतोंकोही नहीं, निरी धार्मिक और सामाजिक शिकायतोंको दूर करानेके लिए भी तथाकथित सत्याग्रहका