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छोड़कर चले जाने और बिना अनुमतिके वापस न आनेका हुक्म दिया गया था । इस दूसरे कागजमें हमारी सजाओंका अथवा उनके रद किये जानेका कोई उल्लेख नहीं था । आदेशोंको प्रतिलिपियाँ प्राप्त करनेके लिए मेरी प्रार्थना मंजूर नहीं की गई और न मुझे स्वतः उनकी प्रतिलिपि तैयार कर लेने की अनुमति दी गई। मुझसे कहा गया कि आपने प्रतिलिपि देनेकी साफ मनाही कर दी है। मुझे प्रसन्नता होगी, यदि आप कृपया मुझे बतायें कि सजा रद करनेवाले आदेशके सम्बन्धमें मैंने जो तथ्य ऊपर लिखे हैं, वे सही हैं या नहीं। यदि आप मुझे सजा रद करने के आदेश तथा 'प्रशासनिक आदेश' की प्रतिलिपियाँ भेज दें तो उसके लिए भी मैं आभार मानूंगा। मैं आशा करता हूँ, आप स्वीकार करेंगे कि ये प्रतिलिपियाँ मुझे दे देना, मेरे प्रति मात्र न्याय करना ही होगा, क्योंकि इन्होंको देखकर में जान सकता हूँ कि मेरी ठीक स्थिति क्या है ।

पण्डित जवाहरलाल नेहरू के पत्र से सिद्ध होता है कि आचार्य गिडवानीकी पुरानी सजाका फिरसे लागू कर दिया जाना तथा उनको जेल भेज दिया जाना यदि अवैध नहीं तो सर्वथा अनुचित अवश्य है । निश्चय ही इन तीनों देशभक्तोंको अपनी रिहाईकी शर्तें देखनेका अधिकार था। जैसा कि पहले ही दिखा चुका हूँ, आचार्य गिडवानीने अवज्ञाकी भावनासे प्रवेश नहीं किया था । उन्होंने मानवताके हित के लिए ही प्रवेश किया था। जनता भी यह जानना चाहेगी कि पण्डित जवाहरलाल नेहरूको प्रशासक क्या जवाब देता है :

विलासिता और आलस्य

खद्दर के प्रचार-कार्य में जो कठिनाइयाँ हैं, उनके बारेमे एक सज्जनने मुझे एक लम्बा पत्र भेजा है । मैं यहाँ इस पत्रके सम्बद्ध अंशोंको प्रस्तुत कर रहा हूँ :

हमारे प्रान्तमें बहुत कताई होती है। अगर मैं कहूँ कि हमारे गाँवों में प्रत्येक महिला कातती है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। छोटी-छोटी लड़कियाँ भी इस कलाको जानती हैं और चरखा चलाती हैं। इस प्रान्तमें बुनकर भी बहुत बड़ी संख्या में हैं। इस प्रान्तमें खद्दरका उत्पादन बहुत बड़े परिमाणमें किया जा सकता है । खद्दरके उत्पादन के लिए जब में यह विशाल क्षेत्र देखता हूँ तो मुझे लगता है कि मुझे भी काम करना चाहिए और कसकर करना चाहिए। किन्तु जब मैं कांग्रेस कमेटीके खद्दर भण्डार में जाता हूँ तो देखता हूँ कि बहुत कम लोग हमारा कपड़ा खरीदते हैं। जिन लोगोंने खद्दर पहिनना शुरू किया था, उन्होंने भी मिलके सूतके कपड़े और कुछने तो विदेशी कपड़े भी पहनना शुरू कर दिया है।

कांग्रेसने जनताकी भावनाओंको जगाया । जनताने विदेशी कपड़े छोड़ दिघे, कुछ तो उन्हें जला भी दिया। उन्होंने खद्दर अपना लिया । किन्तु