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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

घर प्रचार करने के लिए, ऐसे दिनोंके सिवाय जब में चौबीसों घंटे यात्रापर होऊँ, कमसे-कम आध घंटा रोज निष्ठासे चरखा चलाने के लिए तैयार हूँ ? क्या मैं सिर्फ खादीका ही इस्तेमाल करने के लिए तैयार हूँ ?

(४) क्या मैं सरकारी खिताबों, स्कूलों, अदालतों और कौंसिलोंके बहिष्कारमें विश्वास रखता हूँ ?
(५) अगर मैं हिन्दू हूँ तो क्या मैं इस बातको मानता हूँ कि अस्पृश्यता हिन्दू धर्मके सिरपर एक कलंक है ?
(६) क्या मैं शराबखोरी और नशेबाजीको पूरी तरह उठा देने में विश्वास रखता हूँ; हालांकि इसके परिणामस्वरूप उनसे प्राप्त होनेवाला सारा राजस्व एक ही सपाटमें खत्म हो जायेगा ?

मेरी अपनी राय में तो जो व्यक्ति कांग्रेस कार्यक्रमकी इन बातोंको न मानता हो, उसे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीमें नहीं रहना चाहिए। इन तमाम बातोंकी ओर ध्यान दिलाने की जरूरत इसलिए हुई कि मैं जानता हूँ कि बहुतेरे सदस्य अहिंसा और सत्यमें विश्वास नहीं रखते। मैंने यह भी सुना है कि कांग्रेसकी कार्यकारिणी संस्थाओं-में ऐसे वकील लोग हैं जिन्होंने वकालत नहीं छोड़ी है, ऐसे सदस्य हैं जो हमेशा केवल खादी ही नहीं पहनते; ऐसे असहयोगी हैं जो राष्ट्रीय पाठशालाओंकी प्रबन्ध समितियोंमें हैं और जो खुद अपने लड़कों को सरकारी स्कूलों में भेजते हैं; और अन्तमें, ऐसे व्यापारी भी हैं जो विदेशी या मिलोंके बने कपड़ोंका व्यापार करते हैं और फिर भी कांग्रेसकी कार्यकारिणियोंके सदस्य हैं। जिन लोगोंपर कांग्रेसके कार्यक्रमको लागू कराने की जिम्मेवारी है, यदि वे खुद ही उसके मुताबिक न चलें तो मैं यही कहूँगा कि उस कार्य-क्रमको सफल बनाना गैरमुमकिन है । जो वकील खुद वकालत करता है, वह अपने भाईसे किस तरह कह सकता है या कैसे उससे आशा रख सकता है कि वह वकालत छोड़ दे ? या वह शख्स जो खुद चरखा नहीं चलाता, किस तरह दूसरेको उसे चलानेकी जरूरत समझा सकता है।

मैं समिति से निवेदन करना चाहता हूँ कि वह प्रामाणिक कार्यक्रम बनाये। अगर किसी दूसरे कार्यक्रमके पक्षमें बहुमत हो तो मैं अल्पमतवालोंसे कहूँगा कि वे कांग्रेस कमेटी में न रहें और उसके बाहर रहकर उस कार्यक्रमके अनुसार काम करें। कांग्रेसके प्रस्तावोंके आदेशोंकी बहुत अधिक अवहेलना होती रही है । इसलिए मैं यह सुझाव भी देना चाहता हूँ कि सदस्योंको चाहिए कि वे हर माह के अन्त में कमसे कम १० नम्बर-का, कमसे-कम १० तोला, अच्छा बँटा हुआ एक-सा सूत खुद कातकर भेज दिया करें । अगर रोज आध घंटा काता जाये तो एक महीने में दस तोला सूत आसानीसे काता जा सकता है। हर मासकी १५ तारीखके पहले-पहले यह सूत खादी बोर्डके मन्त्रीके पास पहुँच जाना चाहिए। जो इसमें गफलत करे, उसके बारेमें समझा जाये कि उसने इस्तीफा दे दिया। इसी तरह जो लोग अपने-अपने क्षेत्रोंसे हाथ धुनाई, हाथ-कताई, हाथ-बुनाई और हाथसे कते सुतका हिसाब हर माह न भेजें, उनके बारे में भी यही माना जाये कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया । हिसाब हर माह्की १५ तारीख से पहले मन्त्रीके पास पहुँच जाना चाहिए ।