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कताईका प्रस्ताव

कारण ऐसे मनुष्योंको समाज अपराधी अथवा अस्पृश्य मानकर सदा दुत्कारता रहे यह कैसी विडम्बना है ? पिछले प्रकरण[१] में उद्धृत प्रधान जेलरकी इस बातसे मैं बिल्कुल सहमत हूँ कि जेलोंमें ऐसे अनेक मनुष्य हैं, जो बाहर रहनेवालोंसे कहीं अधिक अच्छे हैं । पाठक अब समझ सकेंगे कि जब मैंने अपनी रिहाईकी खबर सुनी, तब मुझे दुःख क्यों हुआ। मुझे लगा कि मुझे छोड़ दिया गया और जिन सब साथियोंने मुझ-पर अपने प्रेमकी वर्षा की और मेरी रायके अनुसार जिन्हें जेलोंमें बन्द करके रखनेका सरकार के पास कोई कारण नहीं रह गया है, वे तो अभीतक जेलोंमें ही हैं ।

एक बात और कहकर गंगप्पासे मैं दुःखपूर्ण अन्तःकरणसे विदाई लूँगा । गंगप्पा अपनी त्रुटियाँ जानता था । वह कातता नहीं था; वह कहता था कि मुझसे यह नहीं होगा क्योंकि मेरी अंगुलियोंमें वह वस्फ नहीं है । परन्तु वह कताईके कमरेकी पूरी व्यवस्था रखता था और मेरी कपासको ओटकर धुनाईके योग्य बनाकर रखता था ।

अपने जेल-जीवनके अनेक सुखद संस्मरणोंमें मैं जानता हूँ कि कैदी- वार्डरोंके सहवास के संस्मरण मेरे मनपर शायद हमेशाके लिए बने रहेंगे ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १०-७-१९२४

१९१. कताईका प्रस्ताव

कांग्रेसका कताईवाला[२] प्रस्ताव मेरी रायमें कांग्रेसके तमाम प्रस्तावोंसे सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। पर कुछ लोगों में उसकी हँसी उड़ानेकी प्रवृत्ति दिखाई देती है । कांग्रेसके विभिन्न संगठनोंके सदस्य एक ही महीने में इस उपहासके अनौचित्यको सिद्ध कर सकते हैं। अगर खादीके सिर्फ आर्थिक महत्त्वको स्वीकार कर लें तो तजुर्बेसे यह साबित हो जायेगा कि आर्थिक क्रान्ति लाने के लिए इस प्रस्तावकी जरूरत थी । कांग्रेस के सर्वाधिक लोकप्रिय कार्यक्रमके निमित्त कांग्रेस कार्यकर्त्ताओंसे सिर्फ आधा घंटा काम करनेकी अपेक्षा रखना कुछ अधिक नहीं है ।

जिन लोगोंने इस प्रस्ताव के पक्षमें राय दी थी, इसपर उनका अमल करना तो मर्यादाकी दृष्टिसे कर्त्तव्य ही है। मेरी रायमें उस प्रस्तावमें दण्डकी व्यवस्था रखना उचित ही था। किसी संस्था के सदस्य यदि स्वयं अपने ऊपर कुछ बन्धन लगायें तो उनके तोड़े जाने की दशामें दण्डकी व्यवस्था करनेका अधिकार उस संस्थाको जरूर हैं। पर चूंकि अब दण्ड-विधान उस प्रस्तावमें से हटा दिया गया है इसलिए मैं आशा करता हूँ कि उसपर एतराज करनेवाले लोग भी प्रस्तावके अनुसार चलेंगे ।

इससे बहुत लाभ होनेकी आशा है। कांग्रेस संगठनोंके सभी प्रतिनिधियोंके लिए सूत कातना कर्त्तव्य-रूप है । देशके बीसों प्रान्तोंमें प्रान्तीय, जिला, तहसील और

  1. १. देखिए पृष्ठ २९९ ।
  2. २. देखिए "अग्नि परीक्षा", १९-६-१९२४ ।