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टिप्पणियाँ

डा० राय कहते हैं :

किन्तु कपड़ा और इस्पात, इन दो उद्योगों में किसका महत्त्व अधिक है ? हमारा वस्त्र उद्योग अनुचित विदेशी प्रतियोगिताके कारण नष्ट हो गया। यदि संरक्षण ही देना है तो राज्यसे संरक्षण पाने का सबसे अधिक अधिकारी कौनसा उद्योग है ? हमारे देश के लोगों के लिए भोजन और वस्त्रकी, जो जीवनकी प्राथमिक आवश्यकताएँ हैं, बेहद कमी रहती है। क्या आयातित सूती मालपर कर लगाकर हमारे हाथ-कताई उद्योगको प्रतियोगितासे नहीं बचाया जा सकता ? किन्तु सरकार ऐसा कदापि नहीं करेगी। भारत स्वराज्य मिलने तक ऐसा करने में असमर्थ है। जो काम सरकार नहीं करना चाहती, लोग चाहें तो उसे कर सकते हैं। हमें कह देना चाहिए कि हम आयातित विदेशी सूती कपड़ा नहीं पहनेंगे, हम केवल हाथकी कती और हाथकी बुनी खादीका ही उपयोग करेंगे और इस प्रकार प्रतिवर्ष देशसे ६० करोड़ रुपये बाहर जानेसे रोकेंगे । यह हमारा काम है कि हम स्वयं विदेशी प्रतियोगिता से अपने वस्त्र-उद्योगको संरक्षण दें।

मैं अपने अनुभवसे कह सकता हूँ कि अब हाथकी कताई स्थायी हो गई है; बशर्ते हमारे देशवासी देशभक्तिके खयालसे केवल कुछ वर्षों तक मोटे और महँगे कपड़े को पहननेकी तकलीफ गवारा करें। आप अनजाने टाटा इस्पात-उद्योगको डेढ़ करोड़ रुपया दे रहे हैं, इसलिए में आपसे कहना चाहता हूँ कि आप जान-बूझकर एक ऐसे उद्योगको भी कुछ सहायता दें, जिसकी तुलनामें टाटा इस्पात उद्योग बौना ही है। जबतक यह शिशु-उद्योग दृढ़ आधारपर प्रतिष्ठित नहीं होता तबतक हमें अपने संघर्षकी इस प्रारम्भिक अवस्थामें अपनी देशभक्तिके बलपर ही सफलता प्राप्त करनी है।

असम में अफीम

असमकी प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी द्वारा नियुक्त अफीम जाँच समिति अपना काम शुरू कर चुकी है और उसने शिवसागर में अनेक साक्षियाँ ली हैं। कई साक्षी जिलेके प्रमुख व्यक्ति थे और सभी दलोंसे छाँटे गये थे। उन्होंने एकमतसे अफीमपर पूरी रोक लगाने का समर्थन किया। एक अनुभवी सज्जनने कहा, यह कथन मूर्खातापूर्ण है कि अफीम में काला-आजार या मलेरिया के निरोधका गुण है । उन्होंने यह भी कहा कि शिवसागर जिलेके एक गाँव अंगेरा खोवामें सबसे ज्यादा मौतें अफीम खानेवालोंकी ही हुई है। कुछ साक्षियोंने यह दिलचस्प बात बताई कि लोगोंको अफीम खाने या चंडू पीनेसे रोकने के अपराधमें नशा निषेध करनेवाले कुछ कार्यकर्त्ताओंको तंग किया गया तथा उनपर मुकदमे चलाये गये। मैं आशा करता हूँ कि यह समिति सामान्य गवाहियाँ लेकर ही सन्तुष्ट नहीं हो जायेगी, वरन् अफीमकी खेती, अफीमकी दूकानों और अफीम के अड्डों के बारेमें तुलनात्मक आँकड़े भी एकत्र करेगी । उसमें असम के लोगोंपर