पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/४८१

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२३७. पत्र : डब्ल्यू० पॉटनको

२६ जुलाई, १९२४

प्रिय मित्र

पत्रके लिए धन्यवाद । 'यंग इंडिया' के ताजे अंकमें अफीमके सम्बन्धमें मेरा सुचिन्तित विचार देखनेको मिलेगा।[१]अगर आज ही अफीमका पूरा व्यापार बन्द कर दिया जाये और उसकी बिक्री सिर्फ दवाके कामोंके लिए ही होने दी जाये तो मेरा विश्वास है कि उसके खिलाफ कोई ऐसा आन्दोलन नहीं होगा जिसे आन्दोलन कहा जा सके । नैतिक दृष्टिकोणसे तो भारत सरकारकी अफीम सम्बन्धी नीतिके पक्षमें कहने के लिए कुछ है ही नहीं ।

मेरा स्वास्थ्य काफी अच्छा है । धन्यवाद ।

हदयसे आपका,
मो० क० गांधी

श्री डब्ल्यू० पॉटन
१११ ए, रसा रोड
कलकत्ता
[ अंग्रेजी से ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरी से ।
सौजन्य : नारायण देसाई

२३८. पत्र : सी० एफ० वेलरको

साबरमती
२६ जुलाई, १९२४

प्रिय श्री वेलर,

२२ मईके आपके कृपा-पत्रका जवाब अबतक नहीं दे सका। पत्रके लिए तथा आपके इस सौजन्यपूर्ण आमन्त्रणके लिए भी कि मैं आपके घर ठहरू, आभारी हूँ । लेकिन वहाँ ठहरनेका लोभ मुझे संवरण ही करना पड़ेगा। आजकल में जिस प्रयोगमें लगा हुआ हूँ, उसे जबतक सफल सिद्ध करके न दिखा दूं, तबतक में और कोई प्रयोग नहीं करूँगा । आज तो मैं उसकी सफलताका दावा ही नहीं कर सकता । उसके विपरीत लगता है, बहुतसे साथी कार्यकर्त्ता मेरे तरीकेसे असन्तुष्ट हैं। अभी यहाँके

  1. १. देखिए " टिप्पणियाँ ", २४-७-१९२४, उपशीर्षक " असममें अफीम " ।